छत्तीसगढ़; अब सबसे बड़ा सवाल कौन बनेगा मुख्यमंत्री ?

रायपुर-छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे। बीजेपी के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है.15 साल का वनवास खत्म कर कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी निभा रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे आज छत्तीसगढ़ पहुंच रहे हैं।

कांग्रेस सरकार बनाने वाली है ऐसे में विधायक दल का नेता कौन होगा इसको लेकर संशय जारी है। मुख्यमंत्री बनने की लिस्ट चार मजबूत चेहरे हैं नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव, पीसीसी चीफ भूपेश बघेल, वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री चरण दास महंत और सांसद ,विधायक ताम्रध्वज साहू देखना दिलचस्प होगा की मुख्यमंत्री का ताज किसके सर सजता है?

भूपेश बघेल

भूपेश बघेल ने साल 2014 में राज्य इकाई की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली थी. इससे पहले 2013 में एक माओवादी हमले में कांग्रेस ने अपने शीर्ष नेतृत्व को खो दिया था. मंगलवार को कांग्रेस ने जो बड़ा जनादेश हासिल किया है उसके पीछे का श्रेय भूपेश बघेल को ही जाता है. बताया जाता है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान पार्टी संगठन को मजबूत करने का काम किया है. इसकी वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या उनके साथ दिखती है.

वहीं, सूबे में जातिगत समीकरण भी भूपेश बघेल के पक्ष में दिखते हैं. वे कुर्मी समुदाय से आते हैं. इसकी सूबे की आबादी में हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी है. साथ ही, यह समुदाय ओबीसी वर्ग में आता है, जिसकी आबादी करीब 36 फीसदी है. इस स्थिति में पार्टी हाईकमान के लिए इस समुदाय को नाराज करना आसान नहीं होगा. इसकी वजह पार्टी को हासिल जनादेश ही है. माना जा रहा है कि ओबीसी समुदाय के समर्थन के बिना कांग्रेस को इतनी सीटें नहीं मिल सकती थीं. जानकारों के मुताबिक इसलिए अगले लोक सभा चुनाव से पहले कांग्रेस इस समुदाय को नाराज करना नहीं चाहेगी.

टीएस सिंहदेव

सरगुजा रियासत के पूर्व राजा टीएस सिंहदेव का पूरा नाम त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव है। टीएस सिंहदेव फिलहाल छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। टीएस सिंहदेव 2008 से अंबिकापुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं। अब तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने वाले टीएस सिंह देव मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल हैं. वे कांग्रेस पार्टी की ओर से सबसे अमीर विधायक रह चुके हैं. बताया जाता है कि राज्य में पार्टी को चलाने के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने में उनकी अहम भूमिका रहती है. इस बार पार्टी का घोषणापत्र तैयार करने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर डाली गई थी.

चरण दास महंत

जांजगीर चांपा जिले के एक गांव में जन्में पूर्व केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत का राजनीतिक जीवन मध्य प्रदेश विधानसभा के साथ शुरू हुआ। कांग्रेस ने इस बार उन्हें सक्ति विधानसभा सीट से प्रत्याशी के तौर पर उतारा था . राजनीतिक अनुभव की दृष्टि से देखा जाए तो वे अन्य तीन के मुकाबले 20 साबित होते हुए दिखते हैं. उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत साल 1980 में विधानसभा चुनाव जीतकर की थी. इसके बाद वे 1985 में भी चुने गए. अविभाजित मध्य प्रदेश की सरकार में उन्होंने गृह विभाग सहित कई अन्य बड़ी जिम्मेदारियां संभाली थीं. वहीं, केंद्र में भी चरणदास महंत कृषि राज्य मंत्री रह चुके हैं.

ताम्रध्वज साहू

ताम्रध्वज साहू का नाम आने के कई कारण हैं. इनमें पहला यह है कि कांग्रेस ने दुर्ग (ग्रामीण) विधानसभा क्षेत्र से पहले से घोषित पार्टी उम्मीदवार का टिकट काट कर सूबे से अपने इकलौते सांसद को विधानसभा चुनाव में उतार दिया. इसके पीछे की वजह मुख्यमंत्री बनने की चाहत में आपसी प्रतिद्वंदिता में उलझे नेताओं पर लगाम कसना माना गया. साथ ही, ताम्रध्वज साहू को उतारकर कांग्रेस ने साहू समुदाय के मतों को भी अपनी ओर खींचने की कोशिश की. ओबीसी तबके में आने वाले इस समुदाय की राज्य की आबादी में करीब 12 फीसदी हिस्सेदारी है.

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