“सिपाही” शक्ति प्रकोष्ठ में श्रीमती मनीषा सिंह जी को मिला प्रभार

प्रदेश के सबसे सक्रिय सैनिक संगठन “सिपाही” (सोल्जर इंडिपेंडेंट प्रो-एक्टिव एलाइंस टु अॉनर इंडिया) का शक्ति प्रकोष्ठ श्रीजन “सिपाही” (महिला प्रकोष्ठ) जो कि सेना और पुलिस की वीर नारियों (शहीद वीरांगना) के लिए कार्यरत और भूतपूर्व सैनिकों की धर्म पत्नियों के लिए ।

प्रदेश में समाजसेवा में अग्रणी श्रीमती मनीषा सिंह जी को इस प्रकोष्ठ का संगठन प्रभारी बनाया गया है।इससे पूर्व भी मनीषा सिंह जी ने गरीब आदिवासी बच्चियों के शिक्षा की व्यवस्था,अरपा बचाओ आंदोलन में वृक्षारोपण बिलासपुर शहर में स्वच्छता अभियान और अनेक समाजसेवी कार्यों में अहम भूमिका निभाई है।

मनीषा जी की पृष्ठभूमि सैनिक परिवार से रही है तथा उनके दादाजी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उनका झुकाव और समर्पण शुरू से ही सैनिकों तथा वीर नारियों के प्रति रहा है। “सिपाही” संगठन जिस की अवधारणा “सेवा, समर्पण और बलिदान” है का गठन 18 अप्रैल 2019 को बिलासपुर संभाग में किया गया जो कि राष्ट्रीय हित में समर्पित पूर्व सैनिकों का है संगठक के संस्थापक तथा प्रमुख श्री महेंद्र प्रताप सिंह राणा जी के अनुसार उनकी सेवानिवृत्ति के बाद 6 साल पहले 2013-14 से ही जब वह 5-6 लोग मिलकर शहीद स्मारक CMD चौक की सफाई या देश हित में कोई काम करते थे तब भी श्रीमती मनीषा सिंह जी उसमें अवश्य सम्मिलित होती थी।

सिपाही के गठन के पश्चात महिला प्रकोष्ठ की आवश्यकता हुई क्योंकि यह देखा गया कि वीरांगना वीर नारियां उनके शहीद पति के बाद समाज की मुख्यधारा से कट जाती हैं और सरकार और प्रशासन से मिलने वाले सुविधाओं से वंचित रह जाती है। साथ ही साथ उनको जिनके पतियों ने देश हित में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है वह पारिवारिक समस्याओं और एकाकी जीवन के लिए विवश होती हैं। जब एक सिपाही चाहे वह पुलिस का हो या सेना का शहीद होता है तब शुरू के कुछ दिन समाज उन्हें बड़ी प्रतिष्ठा और सम्मान के साथ ख्याति के बड़े-बड़े स्मारकों में मढ कर प्रदर्शित करता है । बाद में उनके हाल पर उन्हें वैसा ही छोड़ दिया जाता है ।
“श्रीजन सिपाही” की अवधारणा पूर्व सैनिकों के परिवारों शहीद के परिवारों तथा वीर नारियों कि सशक्तिकरण सम्मान तथा उत्थान की है ऐसे ही दिनांक 11 मई को सेना में कार्यरत श्री जगदीश प्रसाद साहू जी की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी तथा मृत्यु के पश्चात उनकी पत्नी श्रीमती सीमा साहू को उनके ससुराल वालों ने उनका साथ नहीं दिया श्रीमती सीमा साहू ने सिपाही संगठन से संपर्क किया और ऐसी स्थिति में “श्रीजन सिपाही” की महिला प्रतिनिधि मनीषा सिंह चौहान जी आगे आई और संगठन की महिला प्रकोष्ठ के साथ उनकी मदद की। वर्तमान में श्रीमती सीमा साहू जी के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। वह एक किराए के घर में रहती हैं। जिसका किराया पिछले 3 महीनों से नहीं चुकाया जा सक था और उनके परिवार से कोई मदद नहीं मिल रही थी।
सिपाही संगठन द्वारा उनको आर्थिक मदद के साथ-साथ स्वर्गीय जगदीश प्रसाद साहू जी की पुरानी थल सेना की इकाई से संपर्क कर उनकी पेंशन शुरू कराने की सारी जद्दोजहद की जा रही है। ऐसे अनेक परिवार हैं जिनकी “सिपाही” मदद कर रहा है। प्रदेश में ऐसे तो छोटे-बड़े कई संगठन थे लेकिन सालों से निष्क्रिय सुस्त पड़े थे।अब सिपाही की अवधारणा के साथ संगठनों में भी प्रतिस्पर्धा की भावना जागी है और धीरे-धीरे नींद से जाग रहे हैं।
पर हर सैनिक परिवार चाहे वह थल सेना,वायु सेना नौसेना सीआरपीएफ एसएफ पुलिस या किसी भी वर्दीधारी भारतीय इकाई का हो “सिपाही” उनके साथ वज्र सा खड़ा है ।
महेंद्र प्रताप सिंह राणा जी के शब्दों मे ……

“हुं सिपाही कि अंततः देशहित में लड़ता पायेगें,
और शेष अस्थियों से राष्ट्र मे वज्र बनाये जाएंगे।”

“आयुधानाम हं वज्रं

🇮🇳 जय हिंद जय हिंद की सेना🇮🇳

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