जिनेवा संधि के तहत पाकिस्तान चाहकर भी भारतीय पायलट का कुछ नहीं कर पाएगा

नई दिल्ली । सीमा पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है। आतंकवाद पर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के बाद वो पूरी तरह से बौखला गया है। हालांकि भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के दौरान एक पायलट पाकिस्तान के चंगुल में फंस गया। भारत सरकार ने पाकिस्तान को हिदायत दे दी है कि वो भारतीय सैनिक को सुरक्षित वापस कर दे।

पाकिस्तान चाहकर भी भारतीय पायलट का कुछ नहीं कर पाएगा, क्योंकि जिनेवा संधि के तहत उसके साथ मानवीय व्यवहार करना होगा। युद्धबंदियों को डराया-धमकाया या उसका अपमान नहीं किया जा सकता है, या तो उसपर मुकदमा चलाया जा सकता है या युद्ध के बाद उन्हें लौटा दिया जाता है।

भारत ने विंग कमांडर की सकुशल वापसी की उम्मीद जताई है।

वायुसेना का कहना है कि जंग की स्थिति में यह एक कोलैटरल डैमेज है और उम्मीद है कि पाकिस्तान इसके उल्लंघन की हिमाकत नहीं करेगा। इस समय पूरा विश्व भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव पर नजर बनाए हुए है और ऐसे में पाकिस्तान कोई मूर्खता नहीं करेगा। नहीं तो उसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

जानिए क्या है जिनेवा संधि?

मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में कुछ नियम बनाए गए थे, जिन्हें जिनेवा संधि के नाम से जाना जाता है। दुनियाभर के लगभग 180 देशों ने इस संधि पर साइन किया है। इसके तहत घायल सैनिक की उचित देखरेख की जानी है।

किसी भी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जा सकता। युद्धबंदी को डराया या धमकाया नहीं जा सकता है। सैनिक के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। युद्धबंदी की जाति, धर्म या जन्म आदि बातों के बारे में नहीं पूछा जा सकता है। युद्धबंदी पर मुकदमा चलाया जा सकता है या युद्ध के बाद उसे वापस करना होगा।

कोई भी देश सैनिक से सिर्फ उनका नाम, पद, नंबर और यूनिट के बारे में ही पूछ सकता है। युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा भी नहीं करनी है।

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