छत्तीसगढ़ के नए नायक: पत्रकारिता में होने की सबसे बड़ी सुविधा यह है कि आपको इतिहास रचने वाले नायकों के आसपास रहने का मौका मिलता ही है। कभी सामान्य से दिखने वाला नायक कैसे महानायक में बदल जाता है, इसे देखना-सुनना भी रोचक होता है। अब जबकि श्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री चुने जा चुके हैं तब उनसे हुए संवाद के क्षण याद आते हैं।
छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता में रहते हुए उनसे अनेक मुलाकातें हुई। किंतु कांग्रेस के परिदृश्य में अजीत जोगी के रहते हुए भूपेश बघेल की क्षमताएं प्रकट नहीं हो सकती थीं। वे अपने गुस्से और क्षोभ को अपनी बातचीत में व्यक्त भी करते थे। कांग्रेस से अजीत जोगी की विदाई के बाद भूपेश जी एक ऐसे नायक की तरह उभरे, जिसके साथ जनाकांक्षाएं संयुक्त थीं। जिस काम को श्री नंदकुमार पटेल अपनी नृशंस हत्या के कारण लक्ष्य तक नहीं पहुंचा सके, बघेल ने उसे पूरा किया है। वे कांग्रेस की इस विजय के वास्तविक नायक हैं, लंबी जद्दोजहद के बाद भी अगर भूपेश जी को यह गौरव मिला है तो क्या हुआ? उन्हें आजतक आसानी से क्या मिला है?
हमेशा आक्रोश का चेहरा बने रहे भूपेश बघेल जी सृजन और निर्माण का चेहरा बनें तो छत्तीसगढ़ के इतिहास में उनकी इस पारी को एक उजले अध्याय के रुप में दर्ज होने से कोई रोक नहीं सकता। यह सिर्फ संयोग ही है कि आज जबकि वे कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए तब मैं भी अपनी पत्रकारीय कर्मभूमि रायपुर में मौजूद हूं। शुभकामनाएं। #भूपेश_बघेल
संजय द्विवेदी की कलम से…