विश्व हिन्दू परिषद के बारे में जानिए – जितेंद्र चौबे

कार्य:- अखिल विश्व में रहने वाले सभी हिन्दुओं के मन में हिन्दुत्व का भाव जागृत करने और उनको संगठित करने हेतु विश्व हिन्दू परिषद कार्य कर रही है।

स्थापना:- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त पर दिनांक 29 30 अगस्त, 1964 को पूज्य स्वामीजी के मुम्बई स्थित संदीपनी आश्रम में हुई बैठक में विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना हुई।

पूज्य स्वामी चिन्मयानन्द जी, पूज्य राष्ट्र् संत श्री तुकडो जी महाराज, अकाली दल के मा0 तारा सिंह जी, जैन मुनि श्री सुशील कुमार जी, मा0 कन्हैयालाल मुंशी, मा0 हनुमान प्रसाद पोद्दार (गीताप्रेस गोरखपुर), पूज्य गोलवलकर गुरूजी, मा0 दादा साहब आपटे आदि मान्यवर परिषद के संस्थापक सदस्य हैं।

विश्व हिन्दू परिषद के मुख्य उद्देश्य:- शाश्वत हिन्दू जीवन मूल्यों की रक्षा, प्रसार और प्रचार करना।

अपने धर्म के विविध पंथ, जाति उपजाति में एकात्मता की भावना निर्माण करना और बढाना।

सामाजिक भेद, विषमता, अस्पृश्यता, अनिष्ट प्रथाओं का निर्मूलन करके सामाजिक समरसता निर्माण व समाज संगठित, सशक्त बने इसलिये प्रयत्न करना।

गिरिवासी, वनवासी, निराधार, हरिजन आदि उपेक्षित बन्धुओं के लिये सेवा कार्य प्रारम्भ करना और उनमें सामाजिक, सर्वांगीण विकास के लिये प्रयत्न करना, धर्मांतरण समाप्त हो इसलिये जनजागृति करना और परधर्म में गए अपने बान्धवों का फिर से हिन्दू धर्म में परावर्तन करना।

रक्षा:- हिन्दू समाज पर धर्म के आधार पर कोई अन्याय या आक्रमण होता हो तो उसके विरूद्व जन जागरण करके, आन्दोलन करके उस अन्याय, आक्रमण को दूर करना।

विस्तार:- आज विश्व हिन्दू परिषद का काम विश्व के पचास देशों में है।

परिषद के प्रमुख आयाम…

बजरंग दल:- यह विश्व हिन्दू परिषद का युवा आयाम है जिसमें युवा कार्यकर्ता रहते हैं। इसकी शुरुआत 1 अक्टूबर 1984 मे सबसे पहले भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त से हुई जिसका बाद में पूरे भारत में विस्तार हुआ।

अभी इसके 1,300,000 सदस्य हैं जिनमें 850,000 कार्यकर्ता शामिल हैं। संघ की शाखा की तरह अखाड़े चलाती है जिनकी सँख्या लगभग ढाई हजार के आस पास है।

दुर्गावाहिनी:- यह बालिकाओं, तरूणियों और युवा कार्यकत्रि रहती हैं।

मातृशक्ति:- इसमें प्रौढ आयु की मातायें और बहनें रहती हैं।

सत्संग:- इसके अन्तर्गत स्थान स्थान पर एक घण्टे के दैनिक साप्ताहिक आदि सत्यंग चलाये जाते हैं।

सेवा:- आर्थिक व सामाजिक रूप से कमजोर बन्धुओं की सेवा से सम्बन्धित सभी कार्य सेवा प्रकल्प के अन्तर्गत चलाये जाते हैं जिसमें चिकित्सालय, सिलाई केन्द्र विधालय से लेकर सभी तरह की सेवा

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