रायपुर । प्रदेश के सभी जिलों में सामुदायिक पुलिसिंग के अंतर्गत शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जनता एवं पुलिस के मध्य परस्पर नियमित संवाद स्थापित करने एवं जनता के मध्य पुलिस की विश्वसनीयता में अभिवृद्धि करने के उद्देश्य से सामुदायिक पुलिसिंग के तहत शहरी एवं अर्द्धशहरी क्षेत्रों में ‘‘जनमित्र योजना’’ तथा ग्रामीण क्षेत्रों में ‘‘ग्राम रक्षा समिति’’ को पुनर्जीवित करने की योजना प्रारंभ की गयी है। जिसके तहत संबंधित थाने के प्रभारी अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र के सभी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच कर आम जनता से सीधे संवाद स्थापित करें।
पुलिस महानिदेशक डी. एम. अवस्थी द्वारा समस्त पुलिस अधीक्षकों को जारी निर्देश के अनुसार ‘‘पुलिस जनमित्र योजना’’ के अंतर्गत यह व्यवस्था की गयी है, कि राज्य के शहरी एवं अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में थानों के क्षेत्रफल और जनसंख्या के अनुसार प्रत्येक थाना क्षेत्र को 30 से 40 सेक्टर में बांटकर थाना प्रभारी स्वयं उपस्थित होकर प्रत्येक सप्ताह में एक सेक्टर में वहां के निवासियों की बैठक लेंगे और नागरिकों से उनके क्षेत्र की समस्याओं की जानकारी लेकर नागरिकों को पुलिस की अपेक्षा एवं आधुनिक अपराध जैसे साईबर क्राईम, ऑन लाईन ठगी, चिटफंड कंपनियों की ठगी, सोशल मीडिया से जुड़े अपराध, महिलाओं के विरूद्ध घटित होने वाले अपराध के तरीके तथा उससे बचने के उपाय बताएंगे। पुलिस के राजपत्रित अधिकारी प्रत्येक सप्ताह अपने क्षेत्र के किसी एक थाने की पुलिस जनमित्र बैठक में स्वयं भी उपस्थित होना सुनिश्चित करेंगे।
इसी प्रकार जिले के पुलिस अधीक्षक प्रत्येक माह में नियमित रूप से दो बार पुलिस जनमित्र की बैठक में सम्मिलित होंगे। ‘‘पुलिस जनमित्र योजना’’ की बैठक के दौरान ही उपस्थित नागरिकों की सहमति से उक्त सेक्टर के कुछ सक्रिय एवं निर्विवादित अच्छी छवि के 8-10 नागरिकों का चयन ‘‘पुलिस जनमित्र’’ के रूप में किया जायेगा तथा उनके नाम मोबाईल नंबर बैठक की कार्यवाही विवरण के साथ दर्ज किया जावेगा। संबंधित थाना प्रभारी एवं नगर पुलिस अधीक्षक, पुलिस जनमित्र के सतत् संपर्क में रहेंगे एवं उनके द्वारा बतायी जाने वाले क्षेत्र की समस्याओं का यथासंभव त्वरित निराकरण करेंगे ताकि आम जनता में पुलिस की छवि एवं विश्वसनीयता बढ़े।
पुलिस अधीक्षक जिले के शहरी एवं अर्द्धशहरी क्षेत्रों में चलायी जाने वाले ‘‘पुलिस जनमित्र कार्यक्रम’’ के लिये अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के एक अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे। नोडल अधिकारी एक रजिस्टर का संधारण करेंगे, जिसमें प्रत्येक सप्ताह किस थाने में किस सेक्टर में पुलिस जनमित्र की बैठक ली गयी इसकी प्रविष्टि की जावेगी। उक्त योजना का मुख्य उद्देश्य आम नागरिकांे एवं पुलिस के मध्य परस्पर समन्वय एवं विश्वास को बढ़ाया जाना है।
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी पुलिस व्यवस्था लागू किये जाने एवं अपराध नियंत्रण हेतु ग्रामीण जनता का सक्रिय सहयोग अत्यंत आवश्यक है। इस हेतु थाना प्रभारी एवं वरिष्ठ अधिकारियों का ग्रामीण क्षेत्रों में सतत् भ्रमण एवं ग्राम रक्षा समिति का गठन एक प्रभावी माध्यम है जिसके द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले व्यक्तियों, उत्साही युवकों, जिनकी छवि निष्पक्ष एवं निर्विवाद हो, का सक्रिय सहयोग प्रभावी पुलिस व्यवस्था लागू करने में लिया जायेगा। नक्सल दृष्टि से संवेदनशील ग्रामों में नागरिकों की सुरक्षा को दृष्टिगत् रखते हुए ग्राम रक्षा समिति का गठन नहीं किया जावेगा। गामीण क्षेत्रों के थाना प्रभारी एवं थाने के द्वितीय अधिकारी, स्वयं ग्राम में उपस्थित होकर ग्रामीणों की बैठक लेकर सर्वसम्मति से सप्ताह में एक में ग्राम रक्षा समिति का गठन करेंगे। प्रत्येक ग्राम रक्षा समिति में न्यूनतम 10 एवं अधिकतम 15 सदस्यों को शामिल किया जावेगा। समिति के सदस्य निर्विवाद, साफ-सुथरे चरित्र के ग्राम में प्रभाव रखने वाले व्यक्ति, उत्साही युवा एवं सक्रिय महिलाएं होंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ पुलिस राजपत्रित अधिकारी भी प्रत्येक सप्ताह अपने क्षेत्राधिकार के किसी 01 ग्राम की बैठक में स्वयं उपस्थित रहेंगे एवं पुलिस अधीक्षक माह में नियमित रूप से 02 बार ग्राम रक्षा समिति की बैठक में स्वयं शामिल होंगे। ग्राम रक्षा समिति के गठन के लिए आयोजित बैठक में थाना प्रभारी, ग्रामीणों को विस्तारपूर्वक वर्तमान अपराध यथा- ए.टी.एम. फ्रॉड, चिटफण्ड फ्रॉड, मानव तस्करी, सोशल मीडिया से होने वाली धोखाधड़ी, अंधविष्वास आदि की विस्तार से जानकारी देंगे तथा ग्राम की समस्याओं की जानकारी ग्रामीणों से लेंगे एवं इसका उल्लेख कार्यवाही विवरण में दर्ज करेंगे। बैठक के दौरान ग्रामीणों द्वारा ग्राम की जो समस्या बताई जाती है, उन समस्याओं एवं ग्राम में मौजूद सामाजिक बुराईयों, अवैध शराब, सट्टा, जुआ, अवैध गांजा विक्रय आदि के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही करेंगे ताकि ग्रामीणों के मध्य पुलिस की विश्वसनीयता कायम हो। पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को इस हेतु जिले का नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे एवं उक्त नोडल अधिकारी अपने कार्यालय में 01 रजिस्टर का संधारण करेंगे जिसमें किस थाना क्षेत्र के किस गंाव में संबंधित सप्ताह में बैठक ली गई, इसका रिकार्ड संधारित करेंगे। थाना क्षेत्र के सभी ग्रामों में ग्राम रक्षा समिति का गठन पूर्ण होने के उपरंात पुलिस अधीक्षक, थाना स्तर पर ग्राम रक्षा समिति के सदस्यों का 01 दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित करेंगे जिसमें सदस्यों को उनके कर्तव्य एवं क्षेत्र के नागरिकों को सुरक्षा की दृष्टि से दिये जाने वाले निर्देश आदि की जानकारी देंगे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, अनिवार्य रूप से स्वयं उपस्थित होंगे एवं कुछ सम्मेलनों में अपने रेंज के पुलिस महानिरीक्षक को भी आमंत्रित करेंगे। जिला स्तरीय सम्मेलन में सक्रिय, निर्विवाद एवं निष्पक्ष कार्य करने वाले सदस्यों को निर्धारित प्रारूप में तैयार किया गया पहचानपत्र उपलब्ध कराया जायेगा। उक्त ग्राम भ्रमण एवं ग्राम रक्षा समिति के गठन का मूल उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस की सक्रियता बढ़ाना तथा ग्रामीण एवं पुलिस में सामंजस्य, संवाद एवं परस्पर विश्वास कायम करना है।