बिलासपुर । रक्तदान जीवनदान है। रक्तदान कर कई जिंदगियां बचाई जा सकती है। इस बात का अहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है। यह अहसास सरायपाली के मुस्तफीज आलम, पुरूषोत्तम प्रधान, उमेश प्रधान, शुभम साहू, लोकनाथ पटेल को वर्ष 2013 में उस समय हुआ जब इनके किसी एक मित्र के परिजन को रक्त की जरुरत पड़ी । तब से इन युवकों ने रक्दान कर लोगों के जीवन बचाने का निर्णय लिया।
बदलते समय के साथ-साथ समाजसेवा के क्षेत्र में भी कई सारे बदलाव आए हैं । शिक्षित तथा जागरूक युवाओं ने समाजसेवा को अलग रूप से परिभाषित किया है । पेशेवर समाजसेवी न बनकर सोशल मीडिया के माध्यम से समाज सेवा का बीड़ा उठाने वाले इन युवकों ने रक्तदान-महादान नमक व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाया है । जिससे जरूरतमंदों को सिर्फ एक मैसेज से सही समय पर रक्तदाताओं को त्वरित सूचना के माध्यम से रक्त उपलब्ध कराया जाता है ।
यूं तो सोशल मीडिया का उपयोग आमजन मनोरंजन के लिए ही करते हैं लेकिन इन उत्साही युवकों द्वारा रक्तदान को लेकर एक अभिनव पहल की है ।
रक्तदान सेवा समिति के कार्यकर्ता ने बताया कि रक्तदान का महत्त्व हमें उस वक्त समझ में आता है जब हमारा कोई अपना प्रियजन हॉस्पिटल में रक्त के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा होता है । हम परेशान होते हैं कि काश कोई व्यक्ति हमारे अपने को जिंदगी के लिए रक्त दे दे और उसे बचा ले ।
जानिए कैसे शुरू हुई रक्तदान सेवा समिति ग्रुप
आपको बता दें कि रक्तदान सेवा समिति के सदस्यों द्वारा ऑनलाइन ब्लड कॉल सेंटर पिछले छः सालों से संचालित हो रहा है । सोशल मीडिया साइट्स जैसे व्हाट्सएप्प, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर रक्तदान सेवा समिति नामक ग्रुप का निर्माण कर जरूरतमंदों को रक्तदान किया जा रहा है ।
रक्तदान सेवा समिति के संस्थापक मुस्तफीज आलम ने बताया कि 2013 में व्हाट्सएप्प पर हमने चार मित्रों की मस्ती के लिए एक ग्रुप बनाई थी । 11 नवंबर 2013 को इनके एक मित्र के एक परिजन को रक्त की आवश्यकता पड़ी । और इन्हें रक्त मिल गयी । इसके बाद इसी दिन इनलोगों ने उस व्हाट्सएप्प का नाम रक्तदान महादान रखा । इसका एकमात्र उद्देश्य ग्रुप के सदस्यों द्वारा रक्तदान के माध्यम से जरूरतमंद मरीजों को रक्त उपलब्ध कराना था । उन्होंने बताया कि रक्तदान सेवा समिति के नाम से वर्तमान में लगभग 110 से अधिक व्हाट्सएप्प ग्रुप संचालित है, जिसमे लगभग 19000 सक्रिय रक्तदाता जुड़े हुए हैं । सभी ग्रुप के लगभग 400-400 डोनर हमेशा कभी भी,कहीं भी रक्तदान के लिए तत्पर रहते हैं । एक फ़ोन पर ही ब्लड डोनर जरूरतमंद मरीज तक पहुंच जाते हैं और लोगों की जान बचाने के लिए यह ग्रुप 24 घंटे तैयार रहते हैं । इस ग्रुप के माध्यम से प्रतिदिन लगभग 40 लोगों को रक्तदाताओं के माध्यम से रक्त की आपूर्ति निःशुल्क कराई जा रही है ।
इस ग्रुप की सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले 2 सालों से इस ग्रुप में महिलाएं भी रक्तदान करने के प्रति जागरूक होकर जुड़ रहीं हैं । आपको बता दे की अभी वर्तमान में लगभग 1000 महिलाएं इस ग्रुप से जुड़ चुकी हैं । तथा ऑनलाइन ब्लड सेंटर में अभी के समय में 71 हज़ार सदस्य और लगभग 19 हज़ार से अधिक रक्तदाता जुड़ चुके हैं ।
जरूरतमंदों तक किस तरह पहुँचाया जाता है रक्त..
रक्तदान सेवा समिति से जुड़े सदस्यों को किसी भी माध्यम से रक्त के लिए अनुरोध मिलने के बाद नाम,पता,ब्लड ग्रुप,बीमारी की स्थिति,रक्तदान करने के स्थान, तथा मरीज के साथी के नंबर का एक मैसेज बना दिया जाता है । मैसेज बनाने के बाद इसे रक्तदान ग्रुप तथा अन्य सोशल मीडिया में चल रहे ग्रुप में वायरल किया जाता है । मैसेज पढ़कर रक्तदाताओं के द्वारा अटेंडर से फ़ोन के माध्यम से चर्चा कर सुविधानुसार रक्तदान किया जाता है । रक्तदान के बाद रक्तदाता का फोटो रक्तदान सेवा समिति के सभी ग्रुप में पोस्ट कर दिया जाता है । रक्तदाताओं के फोटो के साथ उन्हें शुभकामनाएं तथा साधुवाद मैसेज से अन्य लोगों को प्रेरणा मिलती है और इससे लोगों को रक्तदान के लिए जागरूकता आती है ।
स्कूल और कॉलेज के बच्चों को जोड़ने के लिए चलाया जा रहा एक महाअभियान
रक्तदान सेवा समिति की ओर से रक्तदान के क्षेत्र में युवाओं को आगे लाने के लिए एक और महाअभियान चलाया जा रहा है । इस अभियान के तहत स्कूल,कॉलेजों में विद्यार्थियों को रक्तदान के प्रति जागरूक किया जा रहा है । इसमें रक्तदान सेवा समिति के सदस्य प्रतिदिन अलग-अलग स्कूल ,कॉलेज में जाते हैं और वहां जाकर उपस्थित बच्चों को रक्तदान के प्रति जागरूक करते हैं ।
रक्तदान सेवा समिति के इन सभी अभियानों में पंकज मेश्राम,विक्की साहू,तनय साहू, तरुण बारीक़, तरुण चौहान, कुंजबिहारी डड़सेना, अजीत प्रधान, चुम्मन मांझी, खिलेश साहू, सुनील नायक, दुर्गेश नायक, अनुरोध चौहान,सूरज प्रधान,मुखीराम पटेल, ठंडाराम पटेल,पालेश्वर पटेल,राजेश चौहान,खेमराज डड़सेना,जितेश जायसवाल,देवराज लोहा,हरिकेश भोई,अजय राणा, लोकेश यादव, उत्तम कठार, विद्या पटेल,उमेश सामल, जुगलकिशोर साहू,लक्ष्मण निषाद अपना योगदान देते हैं ।