लोकसभा चुनाव । नजरिया : पत्रकार यशवंत गोहिल
राजनीति में नीतिगत विरोध का अपना समय, तरीका और स्थान होता है। हमारे बिलासपुर के सांसद लखनलाल साहू का स्टिंग ऑपरेशन सामने आना और इसमें उनका स्वीकार करना कि 15 करोड़ खर्च होते हैं, पैसा तो लगता ही है, सवाल उठाएंगे और भी तमाम तरह के सवाल-जवाब स्टिंग में दिख रहे हैं। वैसे लखनलाल साहू का यह दूसरा स्टिंग है। इससे पहले विधानसभा चुनावों के दौरान उनका एक स्टिंग आ चुका है, जिसमें वे केंद्रीय नेतृत्व के विषय में चर्चा करते हुए दिखाई दिए थे। प्रदेश में इस स्टिंग को लेकर बवाल मचा हुआ है। टीवी-9 के जरिए किए गए स्टिंग पर खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कह चुके हैं कि भारतीय जनता पार्टी का असली चेहरा उजागर हो गया है, वहीं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने कहा है कि पार्टी इस विषय पर लखनलाल साहू को नोटिस देगी और जवाब मांगेगी। क्या कार्रवाई होती है, ये बाद का विषय है।
बिलासपुर के संदर्भ में अगर बात की जाए तो इस पूरे मामले में सबसे सधा हुआ बयान कांग्रेस के प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव का आया है। उस समय जब कांग्रेस के मुख्यमंत्री सांसद के इस स्टिंग ऑपरेशन में फंसने के बाद हमले कर रहे हैं, अटल श्रीवास्तव सांसद के बचाव में ज्यादा नजर आते हैँ। राजनीति में रणनीति का अपना अलग महत्व है और इसमें कोई शक नहीं कि इस सधे हुए बयान का मतलब उनकी रणनीति का हिस्सा हो।
लखनलाल साहू मुंगेली क्षेत्र से आते हैं। बिलासपुर के सांसद हैं और बिलासपुर लोकसभा में पिछला चुनाव एक लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीते हुए सांसद हैं। वे जिस क्षेत्र से आते हैं, उस क्षेत्र में साहू समाज के वोटर्स की बहुतायत मानी जाती है। मुंगेली के पास की सीट लोरमी में भी साहू बहुत संख्या में हैं। भाजपा से तोखन साहू पिछली बार वहां विधायक रहे हैं। ऐसे समय में जब यह स्टिंग आया है, अटल श्रीवास्तव का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के अरुण साव से है। अरूण साव को भी साहू समाज का ही माना जाता है और साहू समाज क्षेत्र का क्षेत्र में बड़ा दबदबा है। जिस वक्त टिकट मिली, उसी वक्त यह कयास लगाए जाने लगे कि जातिगत समीकरणों में अरुण साव कहीं, अटल श्रीवास्तव पर भारी न पड़ जाए, लेकिन सियासी जमीन और पहचान के मामले में वे शुरू से अटल से कमजोर रहे हैं। अब जब अटल श्रीवास्तव ने वर्तमान सांसद लखनलाल साहू के स्टिंग ऑपरेशन के बाद यह बयान दिया कि वे सरल, सहज व्यक्ति हैं। चुनाव में पैसे खर्च होते ही हैं। यह स्टिंग गलत है, तो एक तरह से सीधे सीधे उन्होंने सांसद लखनलाल साहू का बचाव कर दिया है।
पहले जानिए कि अटल श्रीवास्तव ने स्टिंग के बाद कहा क्या है शब्दश:
देखिए मेरा ऐसा मानना है कि लखनलाल साहू बेहद सरल और सज्जन आदमी हैं। जिन्होंने भी उनका स्टिंग ऑपरेशन किया है, वो गलत है। उन्होंने बहुत ही नार्मल और रूटीन बात कही है, जिस तरह से हम लोग बात करते हैं, वैसे ही बात कर रहे थे। हर आदमी जानता है आंतरिक रूप से कि चुनाव में पैसे बहुत लगते ही हैं। मुझे ऐसा नहीं लगता है कि उन्होंने बहुत आपत्तिजनक बात कही है। मुझे ऐसा लगता है कि वे बहुत सज्जन आदमी हैं।
मैंने पहले भी लिखा कि राजनीति में रणनीति को स्पष्ट करने के दौरान समय, स्थान और तरीके काे देखना चाहिए। अटल श्रीवास्तव का यह बयान मुंगेली में आया है। यहां उन्होंने लखनलाल साहू के पक्ष में बयान देकर एक तरह से साहू समाज को साधने की कोशिश की है और उनका दिल जीतने का प्रयास किया है। इसमें भी कोई शक नहीं कि इसका संदेश बहुत अच्छा जाएगा भी साहू समाज में। लेकिन दीगर लोग इस विषय में क्या कहेंगे, ये अलग विषय है। कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि लोग इस बात को लेकर अटल श्रीवास्तव पर निशाना साधें कि स्टिंग आपरेशन में जो चुनाव के लिए पैसों की बात कर रहा है, अटल उनका साथ दे रहे हैं।
जाहिर तौर पर ऐसा नहीं होगा और इसका फायदा अटल को मिलेगा। ऐसा इसलिए नहीं होगा कि
क्या भाजपा खुद अपने सांसद को सवालों के घेरे में लाने की बात मंचों पर कहेगी?
क्या अरुण साव जो खुद समाज के हैं, अपने ही सांसद के बचाव के लिए बयान देने वाले अटल श्रीवास्तव की बात काट सकेंगे?
और भाजपा के अलावा न तो ऐसा कोई राजनीतिक वजूद दिखता है, जो इस बात को मंचों पर पुरजोर तरीके से उठा सके और न ही कोई व्यक्तित्व। जहां तक जोगी की बात है, तो वे खुद इस लोकसभा चुनाव में अलग-थलग दिख रहे हैं। बसपा का साथ सिर्फ संदेश देता है कि वे साथ हैं, पर शक्ति शिथिल दिखती है।
तो इस बयान के जरिए अटल श्रीवास्तव साहू समाज पर जबरदस्त प्रभाव छोड़ेंगे, इसमें कोई शक नहीं। इसके उलट अरुण साव की पार्टीगत रूप से थोड़ा बहुत नुकसान हो सकता है, क्योंकि लखनलाल भाजपा के सांसद है। यह नुकसान पार्टी के परसेप्शन को लेकर हो सकता है थोड़ा बहुत, लेकिन राजनीति में परसेप्शन ही सब कुछ है। अटल ने सकारात्मक बयान देकर अपना साहू समाज में परसेप्शन मजबूत किया है, तो भाजपा के प्रति स्टिंग आपरेशन से लोगों की मन:स्थिति में फर्क आना लाज़िमी है।
पत्रकार यशवंत गोहिल की कलम से✍️