रायपुर – बीजेपी के 77 सीटों में टिकट के बंटवारे के बाद अब सबकी नजर कांग्रेस के टिकट पर टिक गई है। 15 सालों से सत्ता से दूर कांग्रेस के लिए अभी नहीं तो कभी नहीं वाली स्थिति पूरे राज्य में है। बीजेपी अपने लक्ष्य को पूरा करने हर समीकरण फिट कर रही है। खरसिया से ओ पी चौधरी को टिकट मिलने के बाद इस बात की चर्चा जोर पर है कि क्या कटघोरा से कांग्रेस पूर्व आईएएस आरपीएस त्यागी को टिकट देगी?
बीजेपी की रणनीति के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि जनप्रिय आईएएस अपनी लोकप्रियता को वोटबैंक में बदलने का माद्दा रखते है। त्यागी करीब 3 साल कोरबा कलेक्टर रहे। इस दौरान उन्हें जनता का अपार प्रेम मिला। बतौर कलेक्टर रहते ही उनकी राजनैतिक महत्वाकांक्षा साफ हो गई थी लिहाजा वो कोरबा से स्थानांतरण के बाद लगातार जिले में सक्रिय रहे। यहां के हर कार्यक्रम में शरीक हो त्यागी ने काफी पहले ही अपनी अघोषित दावेदारी पेश कर दी थी।
कटघोरा सीट पर भाजपा ने एक बार फिर संसदीय सचिव लखनलाल देवांगन पर दांव खेला है। हालांकि इस सीट से जीत दिलाने का माद्दा रखने वाले कांग्रेस के 6 बार के विधायक बोधराम कंवर ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे अगर उनके बेटे पुरषोत्तम कंवर को टिकट मिली तो बेहतर है लेकिन यह भी अथाह सत्य है कि पुरषोत्तम कटघोरा के लिए काफी कमजोर उम्मीदवार साबित होगा। पुरषोत्तम के अपने पिता की तरह लोगो के दिल मे जगह बनाने में पूरी तरह से नाकाम है।
ऐसे में त्यागी पर फैसला पार्टी को इस सीट पर कटघोरा में एक बार फिर कांग्रेस की वापसी करा सकता है। हालांकि जिला पंचायत उपाध्यक्ष अजय जायसवाल भी इस सीट से प्रबल दावेदार है। जबकि कुछ अशोक देवांगन के पक्ष में सहमति जताते है लेकिन इन सबके बीच त्यागी की दावेदारी ज्यादा प्रबल दिखती है। पार्टी को इस सीट पर उनकी प्रशासनिक क्षमता का लाभ मिलने की उम्मीद है।