◆ क्रॉनिक पेन किसे कहते हैं ?
उत्तर : ऐसा दर्द जो तीन महीने से अधिक पुराना हो ,उसे क्रॉनिक पेन कहते हैं ।
◆ क्रॉनिक पेन भी क्या बिमारी है ?
उत्तर : हां, यह हाई बी पी या डायबिटीज की तरह एक बिमारी है ,जिसका उचित इलाज आवश्यक है ।
◆ दर्द का इलाज क्यों आवश्यक है,अगर मुझमें दर्द सहने की क्षमता है तो भी मैं दर्द का इलाज करवाऊँ?
उत्तर : दर्द का इलाज आवश्यक है । इलाज नहीं करवाने पर इसके कई घातक परिणाम हैं :
● अवसाद
● चिड़चिड़ापन
● आर्थिक हानि
● कार्य क्षमता में कमी
● पारिवारिक कलह
● हाई बीपी और शुगर का खतरा
● मानसिक तनाव
◆ क्रॉनिक पेन का इलाज किस तरह किया जाता है ?
उत्तर: क्रॉनिक पेन का इलाज कई प्रकार से होता है :
● दवाई,गोलियों और इंजेक्शन द्वारा
● प्रोसिजर्स द्वारा ,जो X-Ray, CT या USG GUIDED होते हैं । जिसके आवश्यक्तानुसार अनेक प्रकार हो सकते हैं ।
● स्टिरॉइड्स
● फिनॉल /अल्कोहल
● रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन
● एंडोस्कोप द्वारा ऑपरेशन इत्यादि
◆ क्या इस प्रकार के इलाज में मरीज को बेहोश किया जाता है ?
उत्तर : नहीं,इस इलाज में मरीज़ को बेहोश करने की आवश्यकता नहीं होती है ।
◆ क्या मरीज को भर्ती करना पड़ता है ?
उत्तर : यह सारे प्रोसीजर्स सर्वसुविधायुक्त ऑपरेशन कक्ष में किया जाता है परंतु मरीज कुछ घंटे बाद ही घर वापस जा सकता है ।
◆ हमारे क्षेत्र में क्रॉनिक पेन से कितने लोग प्रभावित हैं ?
उत्तर : बिलासपुर में आधे से अधिक लोग इस प्रकार की तकलीफ से पीड़ित हैं । इस पर डॉ अलका रहालकर ने सितम्बर 2018 में अमेरिका में एक शोध प्रस्तुत की थी ।
◆ क्रॉनिक पेन होने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर : क्रॉनिक पेन के अनेक कारण हैं :
● बढ़ती उम्र
● मोटापा
● चोट एवं दुर्घटनाएं
● एड्स
● कैंसर
● डायबीटीज
● जोड़ों के दर्द
● गठिया
● रीढ़ की हड्डी का दर्द
● मांसपेशियों का दर्द
● नसों का दर्द
● सिर में दर्द
● चेहरे का दर्द
● कैंसर का दर्द
● स्पाण्डिलाईटिस
● सायटिका इत्यादि
◆ क्या इस पेन की सुविधा बिलासपुर में उपलब्ध है ?
उत्तर : हां , यह सुविधा डॉ अलका रहालकर एंडोस्कोपी एंड सर्जिकल क्लिनिक ,मगरपारा रोड में उपलब्ध है । जो विगत 7 साल से इस क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रही है ।
बातचीत के अंत में डॉ रहालकर ने बताया कि दर्द, मुख्यतः पुराना दर्द एक गंभीर समस्या है । जो मनुष्य की जीवनशैली को प्रभावित करता है। यह कहा जा सकता है कि इस प्रकार के दर्द की तीव्रता इतनी अधिक होती है कि यह मनुष्य को जीने नहीं देता तथा कई बार आत्मघाती कदम लेने के लिए प्रेरित करता है ।