छत्तीसगढ़ : प्रमुख मुद्दे जो बने भाजपा की हार का कारण

रायपुर- छत्तीसगढ़ में चुनाव परिणाम ने इस बार सबको चौका दिया है कांग्रेस ने 90 में से 68 सीटें जीतकर सुनामी ला दी. 15 साल बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बन गई है 65 सीटें जीतने का दावा करने वाली भाजपा केवल 15 सीटों पर सिमट गई.

क्या रहे भाजपा की हार के कारण ?

सरकार विरोधी लहर भाजपा नहीं रोक पाई और भाजपा नेता 65 प्लस सीट पर जीत का दम भरते रहे.
कांग्रेस ने लगातार पांच साल तक रमन सिंह के खिलाफ अभियान चलाया खासकर भ्रष्टाचार घोटालों पर आंदोलन किए. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश में 19 रैलियां की प्रधानमंत्री मोदी और रमन सरकार के खिलाफ निशाना साधा उनके बयानों से भी प्रदेश में भाजपा के खिलाफ माहौल बना.

कर्ज माफी का वादा– कांग्रेस की कर्ज माफी की घोषणा ने प्रदेश की 30 लाख किसान परिवारों को प्रसन्न किया राहुल गांधी की घोषणा के बाद खरीदी केंद्रों में धान की आवक फीकी पड़ गई थी, किसान धान बेचने के लिए चुनावी नतीजों का इंतजार कर रहे थे .यह अंदाजा लगाया जा रहा था की किसान वर्ग इस बार कांग्रेस से उम्मीद लगाए बैठा था.

आउटसोर्सिंग से भर्ती से बेरोजगारों में नाराजगी थी राज्य में 100000 पद अभी भी खाली है यह बड़ा मुद्दा बना , भ्रष्टाचार रोकने में सरकार विफल रही बाबू से लेकर मंत्री तक के हिस्से बटे रहे लोगों के छोटे-छोटे काम नहीं हो रहे थे.

एंटी इनकंबेंसी 15 सालों के सत्ता में होने के कारण भी एंटी इनकंबेंसी हावी रही लगातार तीन चुनाव से दिखाई दे रहे कुछ पुराने चेहरों से नाराजगी भी थी. जो बज्पा की हर का एक बड़ा कारण बना.
शराबबंदी ना करना भाजपा ने वादा करने के बाद भी शराबबंदी नहीं कि कोपेरेसन के जरिए शराब बेचे इसमें भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ जो प्रमुख मुद्दे के रूप में उभरा.

पुलिस व शिक्षाकर्मी आंदोलन- वेतन विसंगति को लेकर खासकर पुलिसकर्मियों की नाराजगी पुलिस परिजनों ने राजधानी में प्रदर्शन किया था वही शिक्षकों ने भी ने संविलियन को लेकर प्रदर्शन किया था .

आदिवासियों ने दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया. पत्थलगड़ी आंदोलन में बड़ी संख्या में विस्थापन इसके प्रमाण रहे बस्तर में नक्सली मुखबिरी के नाम पर आदिवासियों की प्रताड़ना के मामले बढ़े.

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