मनेन्द्रगढ़ विधानसभा ; कांग्रेस की ओर से एमबीबीएस डॉक्टर चुनावी मैदान में

शनिवार को कांग्रेस ने 37 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया | मनेन्द्रगढ़ विधानसभा सीट पर जैसे कयाश लगाये जा रहे थे वही हुआ , डॉ विनय जायसवाल पर भरोसा जताते हुए उन्हें प्रत्याशी घोषित किया गया है | पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गुलाब सिंह भाजपा के श्याम बिहारी जायसवाल से चार हज़ार के मामुली अंतर से हार गए थे ,इस बार पार्टी गुलाब सिंह जगह डॉ विनय जायसवाल पर भरोसा जताया है |चुनाव से पहले डॉक्टर विनय की राजनीतिक सक्रियता यह गवाही दे रही थी की इस बार एक एमबीबीएस डॉक्टर चुनाव के मैदान में दिखाई देगा | डॉ विनय जायसवाल एमबीबीएस ,एमडी की डिग्री के साथ रायपुर में पेशेवर डॉक्टर है |डॉ विनय पिछले पांच सालों से अपने क्षेत्र में जनजागरण एवं लोगो के हितों की लड़ाई के लिए सक्रिय रहे है, स्थानीय उम्मीदवार होने का फायदा उन्हें चुनाव में मिल सकता है |

छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र पर बीजेपी का कब्जा है. कांग्रेस 10 साल से इस सीट पर वनवास झेल रही है और अपनी वापसी के लिए बेताब है. जबकि बीजेपी अपने दुर्ग को दुरुस्त कर अपना वर्चस्व कायम रखना चाहती है |बता दें कि साल 2008 के परिसीमन के बाद से मनेंद्रगढ़ सामान्य सीट है, जबकि इससे पहले आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित थी. सामान्य सीट होने के बाद से यहां बीजेपी का कब्जा है. छत्तीसगढ़ के गठन के बाद साल 2003 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी से इस सीट को छीन लिया था. हालांकि, पांच साल बाद हुए चुनाव में कांग्रेस अपनी जीत को बरकरार नहीं रख सकी.

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी, एनसीपी और बसपा सहित 12 उम्मीदवार मैदान में थे. बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक दीपक पटेल का टिकट काटकर श्याम बिहारी जायसवाल को उतारा था. पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरते हुए श्याम बिहारी कांग्रेस प्रत्याशी गुलाब सिंह को चार हजार 178 वोटों से मात देकर विधायक बने.

परिसीमन के बाद 2008 में इस विधानसभा सीट को सामान्य घोषित कर दिया गया. इसके बाद बीजेपी के दीपक पटेल ने एनसीपी के रामानुज को मात देकर भगवा ध्वज फहराने में कामयाब रहे. दीपक पटेल को 30 हजार 912 वोट मिले थे, जबकि एनसीपी को 16 हजार 630 वोट मिले थे. इस तरह से दीपक पटेल ने रामानुज को 14 हजार 282 मतों से करारी मात दी थी.

हालांकि छत्तीसगढ़ के गठन के बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में यह सीट आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित थी. इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गुलाब सिंह ने बीजेपी के रामलखन सिंह को करारी मात दी थी.

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