शाह का रमणीय वार, कांग्रेस पर जोगी सवार; त्वरित टिप्पणी -जीतेन्द्र चौबे

बिलासपुर -प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामदयाल उइके ने कांग्रेस छोड़ दी है। रामदयाल उइके के कांग्रेस छोड़ने का अर्थ है की  प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति बहुत ही कमजोर हो जाना। एक तरफ  वरिष्ठ पत्रकार रुचिर गर्ग का कांग्रेस प्रवेश हुआ तो दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामदयाल उइके को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष  अमित शाह, मुख्य मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ,प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक और राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम की उपस्थिति में भाजपा में प्रवेश कराया गया। मैरियट में हुए इस भाजपा के प्रवेश समारोह में भाजपाई इतने उत्साहित नजर आ रहे हैं जैसे उन्होंने आधी फतेह हासिल कर ली हो।

जोगी मुख्यमंत्री बने उस वक्त भाजपा से रामदयाल उइके ही मरवाही के विधायक थे

रामदयाल उइके का कांग्रेस में प्रवेश कर जाना उस समय सबसे बड़ी खबर थी, जिस समय उन्होंने जोगी के लिए मरवाही की सीट छोड़ी थी। जोगी  मुख्यमंत्री बने उस वक्त भाजपा से रामदयाल उइके ही मरवाही के विधायक थे। कब से उन्हें जोगी का खास सिपहसालार माना जाता रहा है। इस वक्त जोगी भी कांग्रेसमें नहीं है। उइके की ही तरह कोंटा के विधायक कावासी लखमा भी जोगी के खास हैं कवासी लखमा तो जोगी और रेणु जोगी जी को अपने पापा मम्मी का दर्जा भी देते आए हैं। वही शिव डहरिया को भी जोगी का बेहद खास माना जाता है। जिस वक्त नई कार्यकारिणी बनी उस समय  उइके को प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष बनाना और कवासी लखमा  लखनऊ को विधानसभा का उपनेता प्रतिपक्ष बनाना, शिव डहरिया को अहम जिम्मेदारी देना ,यह साबित करता था कि जोगी के खास लोगों को पद देकर इसलिए शांत कर दिया जाए ताकि वह बगावत ना कर सके लेकिन रामदयाल उइके के भाजपा में प्रवेश को इस नजरिए से देखा जा सकता है कि कहीं ना कहीं जोगी और रमन की जुगलबंदी शानदार नतीजे लेकर आ रही है।

उइके का भाजपा प्रवेश अनायास ही नहीं हो सकता

उइके का भाजपा प्रवेश अनायास ही नहीं हो सकता। इसके लिए ऐसे समय का चयन किया गया है जब विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक है और टिकट वितरण कमोबेश 1 सप्ताह के अंदर होने को है। ऐसे में कांग्रेस की रणनीति पूरी तरह बेअसर करने के लिए रामदयाल उइके को बिलासपुर में भाजपा में प्रवेश दिलाया गया। बिलासपुर की बात करें तो बिलासपुर संभाग में इसका पूरा असर होगा जहां कुल 24 सीटें आती हैं। इन 24 सीटों में अनुसूचित जाति और जनजाति का भी खासा दखल है।

जोगी बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन कर चुके हैं |बसपा का प्रभाव क्षेत्र  जांजगीर लोकसभा की आठों विधानसभा सीट पर है ,जांजगीर जिले की साड़ी 6 सीट और कसडोल व बिलाईगढ़  इसमें आते है, यहा सारी सीटे जोगी ने बसपा को दे दी है याने जोगी का कोई भी प्रत्याशी यहा खड़ा नही होगा इससे अप्रतक्ष्य रूप से भाजपा को ही फायदा मिलेगा | इधर रामदयाल उइके के भाजपा में प्रवेश करने से कांग्रेस की उत्तर छत्तीसगढ़ में कमर टूट सकती है। इन हालिया दौर में तीन बड़ी घटनाएं हुई जो भाजपा के लिए संजीवनी का काम कर सकती हैं। पहली घटना जोगी और बसपा का मिलन,, दूसरी घटना भूपेश बघेल का सीडी कांड और तीसरी घटना रामदयाल  का भाजपा में प्रवेश। अभी तक कांग्रेस को प्रदेश में एंटी इनकम्बेंसी की बड़ी उम्मीद थी लेकिन इन घटनाओ ने कांग्रेस को ही बैकफूट पर ला खड़ा किया है |

रामदयाल उइके आदिवासी नेता है ,बिलासपुर संभाग में इसका खासा असर देखने को मिलेगा

रामदयाल उइके आदिवासी नेता है और प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष होने के नाते कांग्रेस में बड़े कद वाले नेता है। ऐसे में जब उनका यह बयान आता है कि राहुल गांधी की खुद उनकी  पार्टी में नहीं सुनी जाती तो इसे लेकर राजनीतिक सरगर्मी मचनी स्वाभाविक है।बहरहाल यह बात उन्होंने भाजपा में प्रवेश करने के बाद कही  है इसलिए इसे कितनी तवज्जो दी जाएगी यह  वक्त बताएगा | कांग्रेस ने सर्व आदीवासी समाज को साधने की कोशिश  की लेकिन उनका आदीवासी अध्यक्ष ही पार्टी से नाता तोड़कर बीजेपी की गोद में आ गया । बिलासपुर संभाग में इसका खासा असर देखने को मिलेगा। इसका असर टिकट वितरण में सीधे-सीधे पड़ सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जिस   कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं उसका आगाज उन्होंने बिलासपुर से कर दिया है। सवाल यह है कि अगला नंबर किसका है जैसा कि कहा जा रहा है पिक्चर अभी बाकी है….

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