सक्ती- अनुविभागीय अधिकारी इंद्रजीत बर्मन द्वारा अपने पत्र क्रमांक 1783 दिनांक 07/02/018 के माध्यम से तहसीलदार के द्वारा स्टांप पर कर अपवंचन के प्रकरण में दिनांक 08/02/2018 को थाना सक्ति में अपराध क्रमांक 65/18 के तहत एफआईआर दर्ज करवाई।
पूरा मामला यह है कि अनुविभागीय अधिकारी द्वारा जगदीश बंसल को टॉर्चर, परेशान करने तथा रकम की मांग करने से तंग आकर जगदीश बंसल द्वारा अनुविभागीय अधिकारी को अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक नोटिस दिनांक 19/01/2018 को प्रेषित किया गया था।
नोटिस प्राप्ति से बौखलाकर 1 सप्ताह के अंदर अनुविभागीय अधिकारी से बर्मन द्वारा तहसीलदार के माध्यम से एफआईआर दर्ज करवाकर जगदीश बंसल को जेल भेज दिया गया जिसके चलते बंसल को अनावश्यक लगभग 20 दिन जेल में रहना पड़ा। इस संबंध में बंसल द्वारा न्याय की गुहार लगाते हुए उच्च न्यायालय बिलासपुर एवं उच्चतम न्यायालय दिल्ली की शरण में गए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रकरण की सुनवाई की । प्रकरण मे पाया गया कि उक्त एफ आई आर स्टाम्प कर अपवंचन से संबंधित होने के कारण आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 एवं 34 के तहत अपराध नहीं बनता है,इसके लिए उक्त एफ आई आर को अवैधानिक होने के कारण स्थिर रखे जाने योग्य नहीं है,निरस्त किया जाता है।
जगदीश बंसल ने हमारे संवाददाता स्टाम्प एवं पंजीयन एक्ट मे स्टाम्प कर अपवंचन के मामले मे कही भी एफ आई आर का प्रावधान नही है बताया कि इस मामले में कहीं भी नहीं है ।अधिकतम 5000 रुपए के अर्थदंड सहित राशि वसूली का का प्रावधान है ,किंतु अनुविभागीय अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत रंजिश के चलते कानून को अनदेखा करते हुए नियम विरुद्ध तहसीलदार के माध्यम से उसके विरुद्ध उक्त एफ आई आर दर्ज कर जेल भेज दिया गया।