मस्तुरी -छत्तीसगढ़ के सियासी संग्राम में बिलासपुर जिले की मस्तूरी विधानसभा सीट पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है लेकिन यहां बसपा का भी अच्छा खासा जनाधार है ऐसे में इस बार इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है जोगी कांग्रेस से गठबंधन के बाद बसपा और मजबूत हो गई है ।
मस्तूरी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है जबकि इससे पहले लगातार दो बार क्षेत्र में बीजेपी को जीत मिली थी । 2008 में परिसीमन के बाद सीपत विधानसभा का एक बड़ा हिस्सा इसमें शामिल हो गया था जिसके चलते यहां के राजनीतिक समीकरण काफी बदल गए है। कांग्रेस की कब्जे वाली सीट से गणेशराम अनंत, बंसीलाल घृतलहरे जैसे बड़े लीडर चुनाव जीतकर मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं 1998 में पहली बार इस सीट में भाजपा ने दी जीत दर्ज की और मदन सिंह डहरिया यहां से चुनाव जीते लेकिन छत्तीसगढ़ बनने के बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेश के मदन सिंह डहरिया को बीजेपी के डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी ने हराया और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी बने 2008 में भी वह लगातार चुनाव जीते लेकिन 2013 में उन्हें दिलीप सिंह लहरिया के सामने हार का सामना करना पड़ा।
2013 के चुनाव नतीजे
कांग्रेस के दिलीप दिलीप सिंह लहरिया को 86509 वोट मिले थे.
बीजेपी के कृष्णमूर्ति बांधी को 62363 वोट मिले थे.
2008 के विधानसा चुनाव परिणाम
बीजेपी के कृष्णमूर्ति बांधी को54002 वोट मिले थे.
कांग्रेस के मदन सिंह दहारिया को 44794 वोट मिले थे.
2003 के नतीजे
बीजेपी के कृष्णमूर्ति बांधी को 40485 वोट मिले थे.
कांग्रेस के मदन सिंह दहारिया को 38217 वोट मिले थे हालांकि इस बार के चुनाव में मस्तूरी सीट में बीजेपी ने डॉ कृष्णमूर्ति बांधी को टिकट देकर एक बार फिर से उन पर भरोसा जताया है वही कांग्रेस से अभी तक टिकट की घोषणा तो नही हुई है लेकिन वर्तमान विधायक दिलीप लहरिया ही प्रबल दावेदार माने जा रहे है।वही बसपा और जोगी कांग्रेस के गठबंधन से मुकाबला त्रिकोणीय होने के पूरे आसार हैं।