रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव सरगुजा रियासत के राजा हैं। लोकप्रियता इतनी की सूबे के लोग उन्हें राजा साहब या हुकुम की बजाए प्यार से टीएस बाबा बुलाते हैं। टीएस के पास 500 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। वे खुद मानते हैं कि उन्हें नहीं मालूम उनके पास कहां कितनी संपत्ति है। फिर भी वे छत्तीसगढ़ की राजनीती मे राजा के तौर पर नही बल्कि अपनी राजनीति में सादगी और सरलता के लिए मशहूर है.टी एस सिंह देव का जन्म 31 अक्टूबर 1952 को सरगुजा राजघराने मे हुआ.इतनी बड़ी रियासत के मालिक होने के बावजूद टीएस सिंहदेव की लाइफस्टाइल बेहद सिंपल है। कोई राजसी आयोजन न हो तो वे हमेशा सादे कुर्ते-पायजामे में ही नजर आते हैं।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत –
टीएस सिंह देव के राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1983 में अंबिकापुर (तब मध्य प्रदेश) नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष चुने जाने के साथ हुई. सार्वजनिक जीवन में उनके सीधे, सरल स्वभाव और उदार व्यवहार के कारण ही वह 10 साल तक इस पद पर बने रहे. साल 2003 में टीएस सिंह देव छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे.
2008 मे पहला विधानसभा चुनाव लड़ा
साल 2008 में हुए विधानसभा चुनावों में टीएस सिंह देव ने पहली बार चुनाव लड़ा. वह सरगुजा जिले की अंबिकापुर सीट से चुनाव मैदान में उतरे और उन्होंने बीजेपी के अनुराग सिंह देव को 948 वोटों से हराया. साल 2013 के चुनाव में भी टीएस सिंह देव अंबिकापुर से ही मैदान में उतरे इस बार भी उनका मुकाबला बीजेपी के अनुराग सिंह देव से ही था. साल 2013 के चुनाव में टीएस बाबा ने अनुराग सिंह को 19 हजार से ज्यादा वोटों से हराया. 6 जनवरी 2014 को टीएस सिंह देव छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता विपक्ष चुने गए.
कांग्रेस को शून्य से शिखर तक पहुंचाया
टीएस सिंह देव 2008 से अंबिकापुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस बार भी वे उन्होंने भरी मतों से जीत दर्ज की है.कांग्रेस के घोषणापत्र तैयार करने मे बड़ी भुमिका निभाई और यह माना जा रहा है की घोषणापत्र ही वह कारण है जिसकी बदौलत कांग्रेस को 68 सीट मिली जिसकी उम्मीद शायद पार्टी ने भी नही की थी.
सौम्य ,सरल एवं सेवा की भावना
‘बाबा साहब’ लोगों को याद दिलाते हैं कि उनके पूर्वजों ने किस तरह दान में लोगों को ज़मीन के पट्टे देकर इस इलाक़े में बसाया था.
उनका कहना है, “ये कागज़ के आंकड़े हैं. ये पांच सौ करोड़ क्या हज़ार करोड़ के भी हो सकते हैं. मगर सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है आचरण. सबकुछ इस पर निर्भर करता है कि आप आम लोगों के साथ कैसे पेश आते हैं. उनमें कैसे घुलते-मिलते हैं या फिर भेदभाव करते हैं. उसी पैमाने पर आपको तोला जाता है.
कभी राजमहल में यहाँ के लोग सवाली बनकर जाया करते थे और फ़रियाद करते थे. आज ‘सरगुजा के महाराजा’ ख़ुद सवाली बनकर जनता के दरबार में हैं. उन्हें पता है कि यह प्रजातंत्र है.
मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार –
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने वाले टीएस सिंह देव मुख्यमंत्री पद की रेस में पहले नंबर पर हैं. कांग्रेस पार्टी को उन्होंने नया स्वरुप दिया.पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच गए एकजुटता बनाई. इस बार पार्टी का घोषणापत्र तैयार करने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर डाली गई थी.
वह यह जिम्मेदारी निभाने मे बखूबी सफल रहे.घोषणापत्र को जनता तक पहुँचाने दिन-रात संघर्ष किया,वे प्रदेश की एक लाख जनता के सीधे रूबरू हुए उनकी समस्या को अपनी समस्या मानकर काम किया और घोषणापत्र तैयार किया. यह अपने आप मे एक अनूठी राजनीती थी. और सबसे महत्वपूर्ण प्रदेश की जनता मे अपने सरल स्वभाव व स्वच्छ छवि के कारण काफी लोकप्रिय है.