ख़ाक में मिला के मुझे, क्या मिला तुझे अब तो डरने का मन नहीं करता, दर भी उन हैवानों को देख कर दूर हो गया है। आज हम महिला स्सक्तिकरण की बात करते हैं तो शर्म आती है झूठ बोलने में, हस्सी आती है जब किसी महिला की कमियाबी सुनते है, क्या होगा इतना पढ़ के , इतना खेल के, देश के लिए जी जान लगाकर, आखिर में नोच ही देंगे तुम्हे, अपनी हवस मिटा के – जला देंगे शरीर को आत्मा को। आज कल समाचार पत्र में , टीवी…