बिलासपुर – कांग्रेस ने अपनी आखिरी सूची आज जारी कर दी .बिलासपुर से शैलेश पांडेय प्रत्याशी बनाए गए और कांग्रेस के भीतर की अंतर्कलह जगजाहिर हो गई .अटल श्रीवास्तव समर्थक प्रदर्शन कर रहे है ,कांग्रेस भवन में तोड़फोड़ हो गई , कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए और पीएल पुनिया मुर्दाबाद के नारे लगा रहे है.
कार्यकर्ताओं का कहना है जिन्होंने पार्टी के लिए 15 सालों से मेहनत की उनको नज़रंदाज़ करते हुए ,दो साल पहले आए व्यक्ति को टिकट दे दी गई . कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है की उनकी भावनाएं आहत हुई है ,वे अपनी आवाज पार्टी नेतृत्व तक पहुंचाकर रहेंगे | कार्यकर्ताओं ने पैसे देकर टिकट खरीदने का आरोप लगाया है | अटल समर्थक आमरण अनशन पर बैठे हुए है.
बता दें की अटल श्रीवास्तव बिलासपुर सीट से प्रबल दावेदार माने जा रहे थे और शैलेश पांडेय को कोटा से टिकट मिलने की खबर थी परन्तु केंद्रीय समिति की बैठक के बाद कोटा से विभोर सिंह और शैलेश को टिकट दिया गया है जिसका विरोध कार्यकर्ता कर रहे है |
तय माना जा रहा था कि अटल श्रीवास्तव को टिकट मिल चुकी है
यह तय माना जा रहा था कि अटल श्रीवास्तव को टिकट मिल चुकी है। बिलासपुर से उन्होंने सालों पहले मेहनत की, लेकिन अंत समय में आखिरकार शैलेष पांडेय को टिकट मिल गई है। ऐसे समय में अब यह माना जा रहा है कि बिलासपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का अपमान हुआ है। वैसे, जब राहुल गांधी ने अपने भाषण में बार बार इसका जिक्र किया कि किसी भी पैराशूट लैंडिंग करने वाले नेता को टिकट नहीं मिलेगी, तो इससे यह लग रहा था कि शैलेष पांडेय को टिकट नहीं मिलेगी क्योंकि राजनीति में आए उन्हें अभी साल भर भी नहीं हुआ, लेकिन बिलासपुर जैसी अहम सीट पर शैलेष पांडेय को उतारकर कांग्रेस ने संकेत दे दिया कि धन बल के आधार पर जो चुनाव लड़ने आएगा, पार्टी उसे तवज्जो देगी। इस टिकट वितरण ने एक बात और साफ कर दी कि पार्टी ने उस व्यक्ति को टिकट दे दी, जो कांग्रेस भवन में लाठी खाने की आवाज तो बुलंद करता रहा लेकिन जब लाठियां बरसाई जा रही थीं, तब भाग गया था। ऐसे में कांग्रेस में आक्रोश होना तय है और इसी कारण कांग्रेस भवन में आज कांग्रेसियों ने तोड़फोड़ की है।
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अटल का गुस्सा जायज
बात की जाए अटल श्रीवास्तव की तो वे आज से नहीं, पिछले दस सालों से टिकट की राह तक रहे हैं। इन दस सालों में उन्होंने कई सार्वजनिक कार्यक्रम कराए, कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी की, इतना नहीं उन्होंने कांग्रेस भवन में लाठी खाकर प्रदेश में कांग्रेस को बड़ा माइलेज दिया। कदाचित वे पहले व्यक्ति थे, जिनके विषय में राहुल गांधी और खुद प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी। ऐसे में यह माना जा रहा था कि अटल श्रीवास्तव की टिकट पक्की है। लेकिन जब पुनिया के बारे में कथित रूप से भूपेश बघेल की सीडी जारी हुई और भूपेश बघेल को दरकिनार किया गया तो अटल की टिकट खतरे में दिखाई देने लगी। लेकिन अटल यह भी मान रहे थे कि कांग्रेस अध्यक्ष ने जुबान दी है कि कांग्रेस पैराशूट से उतने नेताओं को टिकट नहीं देगी, लेकिन राजनीति में जुबान का कोई अर्थ नहीं होता, यह बात एक बार कांग्रेस ने साबित कर दी।
शैलेष पांडेय के बिलासपुर आने से क्या होगा
अब यह तय है कि बिलासपुर कांग्रेस में जमकर बवाल होगा। शैलेष पांडेय यह मान रहे हैं कि दो चार दिनों में यह बवाल थम जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होगा। क्योंकि अटल और शैलेष के बीच पहले भी विवाद हो चुके हैं। और दोनों के बीच सुलह भी इसी बात को लेकर हुई थी कि शैलेष कोटा और अटल बिलासपुर से लड़ेंगे, लेकिन इस टिकट वितरण से अटल श्रीवास्तव धोखा खाए हुए लग रहे हैं। ऐसे में उनकी राजनीतिक कटुता कहीं शत्रुता में परिवर्तित न हो जाए और इसका सीधा असर देखने को मिल सकता है। पार्टी इस खतरे को भांपकर अटल श्रीवास्तव को किसी भी दूसरी विधानसभा का प्रभार जिम्मेदारी के रूप में दे सकती है, ताकि बिलासपुर में वे शैलेष पांडेय को नुकसान न पहुंचा सकें। बात करें, अशोक अग्रवाल की तो टिकट की दौड़ में वे भी थे, लेकिन कहीं न कहीं वे शैलेष पांडेय के नजदीकी भी हैं, इसलिए उनसे शैलेष को दिक्कत नहीं होगी।
अमर अग्रवाल का समीकरण
अमर अग्रवाल पिछले 20 साल से विधायक हैं, तीन बार से मंत्री हैं। बिलासपुर के समाज में अच्छी पकड़ है। लेकिन इस बार उनके सामने अब तक का सबसे नया चेहरा है। शैलेष पांडेय को जो मजबूत दावेदार माना जा रहा है, उसका सबसे बड़ा कारण सिर्फ यही है कि वे कांग्रेस में नया चेहरा हैं और इसका फायदा उठा सकते हैं। लेकिन अमर अग्रवाल का जनसंपर्क एक बार पूरा हो चुका है, उनके बेटे आदित्य अग्रवाल ने एक बार पूरा दौरा कर लिया है, शैलेष पांडेय अब तक कोटा में सक्रिय थे, इसलिए सिर्फ 20 दिन में चुनावी दिनों में वे जनता के बीच जाएंगे, तो उन्हें इसका कोई खास फायदा मिलेगा, ऐसा नहीं लगता।