एक अजीब सा दोहराव दिख रहा है राफेल पर कांग्रेस के आरोप और पीएसी यानी लोक लेखा समिति के चेयरमैन मल्लिकार्जुन खड़गे की रिपोर्ट में। लोकलेखा समिति एक मजबूत समिति होती है, जिसमें 22 सांसद हैं और सामान्यत: विपक्ष का ही नेता इसका अध्यक्ष होता है। संप्रति मल्लिकार्जुन खड़गे हैं। यह सरकार को कई अहम मसलो पर सुझाव देती है और जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभाती है।
रविवार को पीएसी ने चिंता जाहिर की है कि देश में हल्के लड़ाकू विमान की कमी है और देश के लिए यह बड़ा खतरा है। लोक लेखा समिति ने यह भी कहा है कि हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स यानी एचएएल पर्याप्त संख्या में तेजस यानी स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने में नाकाम रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 2018 तक भारतीय वायुसेना को 200 तेजस फाइटर जेट्स और 20 ट्रेनर एयरक्राफ्ट की जरूरत थी, लेकिन उसे सिर्फ 9 तेजस मिल पाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुपरसोनिक फाइटर जेट को विकसित करने और वायुसेना में शामिल करने में बहुत देर हो रही है।
अब ज़रा राफ़ेल पर आते हैं। राफ़ेल के विषय में कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि तकनीक निर्माण के ट्रांसफ़र एचएएल को किया जाना था और इसे एचएएल में बनाया जाना था।
अब ग़ौर कीजिए, कि यदि देश संकट में है और जब दुश्मन देश 4th-5th जनरेशन के विमानों से लैस हो रहा है, वहां हम एचएएल के भरोसे क्या फिलहाल बैठ सकते हैं। खड़गे के मुताबिक एचएएल को तेजस बनाने में नाकामी मिल रही है, तो वह भला राफेल के निर्माण पर अभी कितना फ़ोकस कर सकती है। और फ़िर एचएएल जब तक इसे बनाकर देगी, तब तक दुनिया नई तकनीकों से लैस हो चुकी है और रॉफेल भी अप्रासंगिक हो चुका होगा।
बहरहाल राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार के स्तर पर जिस तरह की राजनीतिक मुहिम छेड़ी है, वह काबिल ए तारीफ है। वैसे अब तक यह आम धारणा ही रही है कि रक्षा सौदे कभी बिना भ्रष्टाचार के पूरे नहीं होते और विपक्ष की भूमिका को राहुल गांधी ने जरूर अपना 100 फीसदी दिया है। रॉफेल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जिस तरह खड़गे को लेकर वे सामने आए और तथ्यात्मक त्रुटि का हवाला दिया, कहा कि सरकार झूठ बोल रही है, वह काबिल ए तारीफ है। लेकिन यह विरोधाभास जरूर है कि रॉफेल एचएएल बना पाएगा।
पीएसी में भाजपा और कांग्रेस के आलावा टीएमसी, शिरोमणि अकाली दल, बीजू जनता दल, शिव सेना के लोकसभा और राज्यसभा के कुल 22 सदस्य शामिल हैं।
समिति ने रिपोर्ट में कहा कि वायुसेना फिलहाल अल्पकालीन उपायों पर निर्भर है, लेकिन यह स्थिति ठीक नहीं है। इसका समाधान जल्द से जल्द निकाला जाना चाहिए। पीएसी रिपोर्ट के मुताबिक, 3 दशकों से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद ऐरोनॉटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी (ADA) हल्के स्वदेशी लड़ाकू विमान विकसित नहीं कर पाई है। समिति ने इस बात पर घोर निराशा जताई है।
एक बात और…जिस बोफोर्स तोप के सौदे को लेकर राजीव गांधी की सरकार गई थी, कारगिल युद्ध के दौरान उसी बोफोर्स ने अपना जलवा दिखाया था। यह बात सामने आई थी कि उसी के कारण यह जटिल युद्ध जीता जा सका। ख़ुदा न खास्ता, भविष्य में कोई युद्ध हो, लेकिन रॉफेल की जो विशेषताएं बतलाई जा रही हैं, वह आज न केवल भारत के लिए प्रासंगिक है, बल्कि समयमान में अनिवार्य भी।