- बुलेट प्रूफ जैकेट, हेलमेट व अन्य अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं कमांडोज फार रेलवे सेफ्टी
- महिला कोरस कमांडो की एक बटालियन भी जल्द तैयार हो जाएगी, अभी चल रही इनकी ट्रेनिंग
बिलासपुर-छत्तीसगढ़ व झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में रेलवे परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कोरस कमांडो (कमांडोज फार रेलवे सेफ्टी) की एक-एक बटालियन की तैनाती कर दी गई है। बुलेट प्रूफ जैकेट, हेलमेट व अन्य अत्याधुनिक हथियारों से लैस इन कमांडो को तैनाती के साथ सीआरपीएफ (सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स ) द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही है।
अभी तक कोरस कमांडो की तैयार 5 बटालियन में से अन्य तीन बटालियन को आतंकवाद प्रभावित व नार्थ ईस्ट के राज्यों में तैनात किया जाएगा। खास बात यह है कि इसके अलावा महिला कोरस कमांडो की एक बटालियन भी जल्द तैयार हो जाएगी। अभी इन महिला कमांडो की ट्रेनिंग चल रही है। इन कमांडो को तैनात किए जाने व महिला कमांडो की बटालियन तैयार किए जाने की पुष्टि रेलवे सुरक्षा विशेष बल के पुलिस महानिरीक्षक बीके ढाका ने की।
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) व रेलवे सुरक्षा विशेष बल (आरपीएसएफ) के चयनित चुनिंदा जवानों को हरियाणा के जगाधरी में कोरस रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) प्रशिक्षण केंद्र के अलावा देश के अन्य विभिन्न प्रशिक्षण सेंटरों में कड़ी ट्रेनिंग दी गई है। इन कमांडो का काम रेलवे संपत्ति की सुरक्षा करना के साथी यात्रियों को सुरक्षा मुहैया कराना है। इन्हें भारतीय रेलवे के नक्सल प्रभावित आतंकवाद प्रभावित तथा उग्रवादी प्रभावित इलाकों में तैनात किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ में बस्तर व उसके आसपास से लगी आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा की सीमा पर चल रहे रेल लाइन को बिछाने, रेललाइन दोहरीकरण के अलावा रेलवे के अन्य कार्य स्थल पर इनको तैनात किया जाएगा। जहां पर नक्सलियों की वजह से या तो काम ठप है या उसे पूरा करने में दिक्कत आ रही है। इनका प्रमुख दायित्व रेलवे में आने वाली विषम परिस्थितियों एवं बाधाओं को राज्य पुलिस एवं अन्य केंद्रीय सुरक्षाबलों के साथ मिलकर एवं समन्वय स्थापित कर त्वरित प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करना होगा जिससे रेल संचालन में बाधा उत्पन्न ना हो साथ ही रेल यात्री सुरक्षित यात्रा कर सकें।
छत्तीसगढ़ में इन दिनों जगदलपुर से किंरदुल के बीच रेललाइन दोहरीकरण का काम नक्सलियों की वजह बंद है जिसके शुरू होने की पूरी संभावना है। इसके अलावा दंतेवाड़ा, राऊघाट, दल्लीराजराद, क्योंटी आदि में भी रेलवे के काम चल रहे हैं। जिनको कोरस कमांडो सुरक्षा मुहैया कराएंगे।
जंगल का नक्शा व रणनीति अहम
कोरस कमांडो को नक्सल गतिविधियों से निपटने के लिए विशेष प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें उन्हें नक्शा अध्ययन, जंगल टेक्टिस, संचार संकेत और रणनीति सिखाई जाती है। प्रशिक्षण के लिए जंगलों में ऑपरेशन डिजाइन जाता है जिससे वे नक्सल प्रभावित इलाकों में किसी भी चुनौती का डटकर सामना कर सकते हैं। इसके अलावा ट्रेन के कोच के अंदर अपहरण की स्थिति से निपटने के लिए वर्तमान में देश में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी कमांडो) को छोड़कर कोई और ऐसी यूनिट नहीं थी लेकिन कोरस कमांडो ने इस कमी को पूरा कर दिया है। कोरस कमांडो भारतीय रेलवे के पास खुद की विशेष कमांडो यूनिट है जो अपहरण जैसी परिस्थितियों का भी सामना कर सकती है। यह कमांडो ट्रेन में आतंकवादियों और ट्रेन हाईजैक जैसी स्थितियों का भी मुकाबला करने में सक्षम है।
कोरस कमांडो बनने के लिए क्या हैं मानक
पीएफ व आरपीएसएफ के बेस्ट जवानों में से कुछ का ही चयन इसके लिए हो पाता है। इसके लिए कांस्टेबल व हेड कांस्टेबल की उम्र 30 वर्ष तथा सब इंस्पेक्टर से एसआई तक के लिए उम्र 40 वर्ष से अधिक की नहीं होनी चाहिए।
अभी दो राज्यों में तैनाती
आरपीएफ व आरपीएसएफ के चयनित ट्रेंड जवानों से कोरस कमांडो की बटालियन तैयार की गई है। इन्हें देश के चुनिंदा ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षित करने के साथ ही जगाधरी में ट्रेंड किया गया है। अभी छत्तीसगढ़ व झारखंड में एक-एक कोरस कमांडो की बटालियन को तैनात कर दिया गया है। -शादान जेब खान, सीनियर कमांडेंट, कोरस बटालियन, जगाधरी हरियाणा