लगातार शिकायतों के बावजूद दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (हेड क्वार्टर) बिलासपुर के डिप्टी सी. सी .एम.(पी. एस.) मसूद आलम अंसारी का अपने पद पर बनाये रखना व उनके खिलाफ कोई कार्यवाही न करना भ्रष्ट लोगों व भ्रष्टाचार को उच्च अधिकारियों का खुलेआम समर्थन ही माना जा सकता है।
विभिन्न ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल व कई संबंधित रेलवे विभागों में कई बार शिकायतों के बावजूद मसूद आलम अंसारी का उतनी ही दबंगई गुंडागर्दी व बेईमानी से कार्य करते रहना इस बात को साबित करता है कि रेलवे अधिकारियों में अब कानून या अन्य किसी का मानो डर खत्म हो गया है।
उच्च अधिकारियों की मसूद आलम अंसारी से इस कदर मिलीभगत है कि, उसके द्वारा किए गए बेइमानी व भारतीय रेलवे को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाने वाले फैसलों पर भी सजा देना तो दूर उल्टे उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन या प्रोत्साहन ही दिया जाता है l
यहां तक कि उनकी अनुचित मांगों के कारण चाहे किसी कंपनी के कर्मचारी की नौकरी ही क्यों ना चली जाए। नाम न बताने की शर्त के साथ एक कंपनी के कर्मचारी ने अपनी आप बीती सुनाई की, मसूद आलम अंसारी की अनुचित मांगों को पुरा न कर पाने व उनकी वजह से कंपनी को होने वाले बड़े नुकसान पहुंचाने के उनके मंसूबों को संभाल न पाने की वजह से किस तरह उसकी सालों की जमी – जमाई नौकरी चली गई। वह ऐसा ना करने व अपनी नौकरी बचाने की मिन्नतें मसूद आलम अंसारी से करता रहा पर उन पर इसका कोई प्रभाव नहीं हुआ।
यहां तक की किसी भी सरकारी सामान को उसके गलत फैसलों के कारण समय से कई वर्ष पूर्व कबाड़ में तब्दील करते हुए भारतीय रेलवे को करोड़ों का नुकसान ही क्यों ना उठाना पड़ जाए, पर उनके किसी भी उपरोक्त अधिकारी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, और सरकार का या कर दाता का पैसा नुक़सान जाए।
मोदी जी व उनके भ्रष्टाचार खत्म करने के संकल्प के बीच मसूद आलम अंसारी जैसे लोग हमेशा दीवार बनकर खड़े रहते है व उनको उनके ही जैसे उच्च अधिकारियों का संपूर्ण समर्थन मिलता रहता है।
अब ऐसे में प्रधानमंत्री कहां तक भ्रष्टाचार खत्म करने के अपने सपनों को साकार कर सकते हैं, जब उनके अपने अधिकारी ही उनकी जगह भ्रष्टाचारी का साथ देना या समर्थन करना ज्यादा पसंद करते हो।