रायपुर -छत्तीसगढ़ के सियासी संग्राम में जांजगीर-चांपा की लड़ाई दो नेताओं के बीच ही चली आ रही है 1998 से लेकर एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी जीतती आ रही है। दिलचस्प बात ये की चुनाव दर चुनाव यहां पर बसपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है और जोगी कांग्रेस और बसपा के गठबंधन के बाद अब मुकाबला यहां पर और कांटें का हो गया है । हालांकि बसपा से गठबंधन के पूर्व जोगी कांग्रेस ने यहां से प्रत्याशी तय कर दिए थे लेकिन गठबंधन के बाद यह सीट बसपा के पाले में चली गयी है । इस विधानसभा में सियासी तकरार बीजेपी के नारायण चंदेल और कांग्रेस के मोतीलाल देवांगन के बीच पिछले दो दशको से हो रही है और वहीं दूसरी तरफ बसपा हर चुनाव में चेहरा बदलती है परंतु जनता का एक बड़ा वोट प्रतिशत उन्हें प्राप्त होता है । पिछले चुनावों के नतीजों पर नज़र डालें तो सियासी समीकरण कुछ इस प्रकार है ।
2013 के चुनाव की नतीजे
कांग्रेस के मोतीलाल देवांगन को 54291 वोट मिले थे.
बीजेपी के नारायण चंदेल को 43914 मिले थे.
बसपा के अमर सिंह राठौर को 27487 वोट मिले थे.
2008 के चुनाव परिणाम
बीजेपी के नारायण चंदेल को 41954 वोट मिले थे.
कांग्रेस के मोतीलाल देवांगन को 40784 वोट मिले थे.
बसपा के रविंद्र द्विवेदी को 18113 वोट मिले थे.
2003 के नतीजे
कांग्रेस के मोतीलाल देवांगन को 52075 वोट मिले थे.
बीजेपी के नारायण चंदेल को 44365 वोट मिले थे.
बसपा के उदल किरण को 15009 वोट मिले थे.
अब भाजपा ने फिर से एक बार नारायण चंदेल पर भरोसा जताया है देखना यह होगा कि नारायण कमल खिला पातें है या हाथी और हल का बल कांग्रेस को मात देगा?