नगर पालिक निगम में अव्यवस्था,सफाई के साथ-साथ मूलभूत सुविधाओं का दंश वार्ड के नागरिक झेल रहे हैं। लेकिन इस असुविधा को लेकर नगर पालिक निगम में बैठे मठाधीश, विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंगती। किसी भी जनप्रतिनिधि ,अधिकारी का जनदर्शन सिर्फ दिखावा ही रहता है । जन समस्या शिविर में जनप्रतिनिधियों एवं पब्लिक के द्वारा की गई शिकायतें महज कागजों का आदान-प्रदान ही रहती है । शिकायत पेटी हो या टोल फ्री नंबर कचरे की टोकरी में डाल दिए जाते हैं ।
बड़े मातहत अधिकारी या शहर के जनप्रतिनिधि का दौरा निरीक्षण सिर्फ सुर्खियों में बने रहने हेतु रहता है। इनका निरीक्षण खोखला साबित होता है । सफाई सिर्फ शहर के मुख्य मार्गो के नालों की सफाई से नहीं होती है । वास्तव में वार्डों के अंतर्गत बड़े नाले या गलियों की नालियां,वार्डों के अंतर्गत खुले प्लाटों में कर्मचारियों के द्वारा डाला जाने वाला कचरा,हॉस्पिटल का वेस्ट बड़े नालियों एवं नालियों को बिना साफ किए सेलेब्स लगाकर ढक दिया जाता है ।
सिविल कार्यों को निष्पादित कर रहे ठेकेदार,अधिकारी ,सफाई विभाग के अधिकारियों ,कर्मचारियों का आपस में सामंजस्य नहीं रहता है । सब अपनी-अपनी ढपली बजा देते हैं। यहां दिखावे के लिए बारिश आने से पहले बड़े नाले एवं नालियों का ठेका कर कार्य करवा दिया जाता है । यह दिखावे का कार्य कहीं ना कहीं परेशानी का सबब साबित होता जा रहा है । इसी का परिणाम है कि वर्तमान समय में स्वच्छता या डेवलपमेंट की रैंकिंग में पूर्व की भांति वर्तमान समय में नई रैंकिंग में बिलासपुर पीछे रह गया है।
बिलासपुर नगर पालिक निगम सफाई विभाग में कागजों में काम वास्तव में दिखावा है । अधिकारी एवं ठेकेदारों की मिलीभगत से जनता के टैक्स का पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है । कहने के लिए तो ठेका पद्धति को बंद कर दिया गया लेकिन तीन चार साल से चल रहे ठेका चाहे वह बाजार का हो चाहे अन्य जगहों का हो ,लेबर सप्लाई ठेका वर्तमान समय में बंद बाजार ठेकों का भुगतान कहीं ना कहीं इस मिलीभगत को उजागर करता है ।
बिना किसी वास्तविक प्लानिंग के 66 वार्डों में बड़ी कंपनी के द्वारा सफाई व्यवस्था का संचालन कर रहे अधिकारी ,कर्मचारी और फिर उसी व्यवस्था के तहत स्थानी लेबर सप्लाई ठेका श्रमिक वास्तव में पूरे वार्डों में वार्ड की आवश्यकता के अनुरूप कर्मचारी या श्रमिक की पूर्ति नहीं करेंगे तो व्यवस्था कहां से सुधरेगी ?
ठेका श्रमिक कर्मचारियों की हाजिरी उपस्थिति उनके द्वारा किए गए निष्पादित कार्यों का लेखा जोखा वास्तव में सही मायने में खंगाल आ जाए तो बहुत बड़ा बंदर बांट सामने आ जाएगा । अधिकारी जब ठेकेदार के साथ मिलकर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से कार्य को निष्पादित करने में लग जाते हैं तो व्यवस्था अव्यवस्था में बदल जाती है। कहीं ना कहीं नियमित भुगतान और अन्य कार्यों में घोटाले की महक आती है।
नगर पालिक निगम में राशि का दुरुपयोग चारागाह बनाकर चाहे वह सिविल कार्यों की तरफ से हो या अन्य विभागीय कार्यों में सिविल कार्यों में से मिलीभगत का ध्यान हटाने हेतु चालाकी के साथ दिशा और दृष्टि भंग करने के लिए उच्च अधिकारियों को सफाई जल की समस्या में उलझा कर विभागीय मठाधीश अपनी रोटी सेकने में कामयाब हो जाते हैं। जिसका तकलीफ जनप्रतिनिधि एवं जनता को भुगतना पड़ता है ।
बड़ी योजना हो या निरंतर चलने वाले कार्य मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना नगर पालिक निगम का उद्देश्य एवं कर्तव्य होता है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर महज दिखावा करते नजर आते मठाधीश अधिकारी सबको खुश कर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं । स्वच्छ बिलासपुर, स्वस्थ बिलासपुर ,सुदृढ़ बिलासपुर सुख दर योजना सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह जाएगा । क्योंकि आने वाली गर्मी मैं सुविधा हेतु ढाक के तीन पात की तरह पुराने ढर्रे पर ही रजिस्टर निकाल कर पेयजल व्यवस्था के लिए कागजी घोड़े दौड़ा दिए जाते हैं।
आने वाली बरसात हेतु भी इसी तरह की व्यवस्था मातहत अधिकारियों के समक्ष बताई जाती है। इस हेतु ना तो कोई सही विजन या समस्या से लड़ने हेतु उपचार की दृष्टि से कार्य नहीं किया जा रहा। समस्या जस की तस जबकि वास्तव में निरीक्षण या दौरा वास्तविक पहल पर व्यवस्था की दृष्टि से सात्विक होना चाहिए, ताकि जनता को सुविधा मिल सके ।बिलासपुर नगर पालिक निगम सभी दृष्टि से किसी भी प्रतिस्पर्धा हो चाहे आपदा या मूलभूत सुविधा देने की दृष्टि से हमेशा सक्षम एवं सुदृढ़ रहे । इस हेतु ना तो कोई व्यवस्था ना कोई विजन की परिकल्पना तैयार की जाती है।
मनीष अग्रवाल.
पूर्व एल्डरमैन नगर पालिक निगम बिलासपुर