जो दार्शनिक होते हैं अक्सर हमें बताते हैं ‘इस पल को जियो’, ‘वर्तमान समय में रहो’। जो कुछ भी बीत गया है हमें उससे जुड़े नहीं रहना चाहिए। अगर कोई दुखद घटना हमारे साथ घटित हुई है तो समय के साथ ठीक हो जाएगा। आपको इस बारे में नहीं सोचना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ वो हमें बताते हैं कि हमें अपना काम अच्छी तरह से करना चाहिए। इससे हमारा भविष्य अच्छा होगा। वास्तव में ये अद्भुत विचार हैं लेकिन सवाल उठता है कि इनमें से एक भी अपने ऊपर कैसे लागू किया जाए।
अगर कोई भी व्यक्ति किसी काम में असफल हो जाता है तो डर बना रहता है। शायद यही वजह है कि एक बच्चे को बड़ों की अपेक्षा कम डर होता है। एक उदाहरण ही लीजिए जैैसे कोई व्यक्ति जिसने कुछ गर्म पीते समय अपनी जीभ जलायी है ऐसे में उसे छांछ भी पीते हुए डर लगेगा। अगर किसी ने कुछ हासिल किया है तो यह स्वाभाविक है कि हम इसे दूसरों के साथ साझा करना चाहते हैं। कभी-कभी तो हम इससे आगे भी बढ़ जाते हैं। मुद्दा ये है है कि चाहे खुशी हो या दुख वो हमारे साथ है और इसे भूलना आसान नहीं है। शायद इसी वजह से कहा जाता है कि ‘भूल जाओ और माफ करो’। एक बार फिर ऐसा कहना आसान है।
हमारा अतीत हमेशा हमारे साथ रहता है। मन भी भविष्य के बारे में ही सोचता है। दोबारा हम कह सकते हैं कि जो किस्मत में है वह तो होगा ही। अंग्रेजी फिल्म के प्रसिद्ध गीत की तरह ‘क्यू सेरा सेरा- जो कुछ भी होना है होगा ही।’ लेकिन यह असंभव है कि ये भविष्य खासकर वर्तमान समय के लक्ष्यों के बारे में है।
‘हम इस पल में रहते हैं और इस पल को जीने के लिए आंदोलन में नहीं।’ आज इस लेख में मैं आपको वीरभद्रासन 2 के बारे में बताएंगे।
1. तदासन में खड़े हो जाइए।
2. एक सांस के साथ कूदिए और पैरों को 4 से 4.5 फीट अलग करें। अगर आपकी लंबाई 5 फीट या इससे कम हैं तो दोनों पैरों के बीच फैलाव कम रखें अगर लंबाई इससे ज्यादा है तो पैरों का फैलाव भी ज्यादा रखिए। अगर आप पीठ दर्द, घुटने के दर्द से परेशान हैं तो मत कूदिए।
3. पैर की उंगली के बल पर खड़े होने की कोशिश करिए और सांस लें।
4. सांस लें, बांहों को फैलाइए और कंधों तक ले आएं।
5. सांस छोड़ें, बाएं पैर को अंदर घुमाएं और दाएं पैर को पूरी तरह से बाहर की ओर करें। फिर सांस लेकर छोड़ें।
6. सांस छोड़ें, दायें पैर को घुटने तक मोड़े जब तक कि दूसरे पैर और जांघ के बीच सीधा कोण ना बन जाए। इस स्थिति में 20 से 30 सेकेंड तक सांस लेते रहें।
8. सांस लें, पैर को सीधा करें। दाएं और बाएं पैर को अंदर की ओर मोड़ें।
9. फिर, बाईं ओर बाएं पैर को बदलकर आसन करें।
यह आसन पीठ की मांसपेशियों, पैरों और बाहों को मजबूत करती है और शरीर के इन हिस्सों में दर्द से राहत पाने में भी मदद करती है।