क्या ‘पायलट’ बनकर रह जाएंगे डीके शिवकुमार या भरेंगे उड़ान?
कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों पर 10 मई को मतदान हुआ। चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बड़ा बहुमत मिला और पार्टी ने 135 सीटों पर जीत हासिल की। इसके बाद अब कांग्रेस मुख्यमंत्री चुनने की होड़ में है। इस बीच प्रदेश में सियासी सरगर्मी भी बढ़ गई है। पिछले दो दिनों से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर बैठकों का दौर जारी है। लेकिन अभी तक इसका फैसला नहीं हो पाया है कि ‘सत्ता की चाबी’ किसी मिलेगी। लेकिन इस रेस में मुख्य दौर से दो ही नेता शामिल हैं। पहले कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया और दूसरे कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार। हालांकि, सूत्रों की मानें तो कहा जा रहा है कि आज सीएम के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा और इसके लिए पार्टी ने फॉर्मूला तय कर लिया है।
कर्नाटक में तैयार किया जा रहा ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला-सूत्र
ऐसा कहा जा रहा है कर्नाटक में ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला तैयार किया जा रहा है। मतलब साफ है कि पहले ढाई साल कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को सत्ता की चाबी सौंपी जाएगी और इसके बाद डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा। इसी बीच सोमवार को डीके शिवकुमार का एक बयान सामने आया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि- ‘वे सीएम पद की अपनी मांग से कोई समझौता नहीं करेंगे। साथ ही यह भी कहा था कि अगर हाईकमान सीएम पद के बंटवारे के लिए कोई फॉर्मूला पर विचार कर रही है तो वे इसके लिए भी तैयार नहीं हैं।’
शिवकुमार ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाया
बता दें, डीके शिवकुमार वही शख्सियत है जिनके कंधे पर कर्नाटक में जीत दिलाने की जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी ने सौंपी थी। इस जिम्मेदारी को शिवकुमार ने बखूबी निभाया भी और यही कारण है कि आज वे कर्नाटक सीएम की रेस में शामिल हैं और हाईकमान उनके नाम पर विचार कर रही है। इस आर्टिकल में आपको शिवकुमार के सियासी सफर के बारे में बात करते हैं। उन्होंने कहां से राजनीति की शुरुआत की और आज किस मुकाम तक पहुंच गए हैं।
इंदिरा गांधी के समय से सक्रिय हैं डीके शिवकुमार
डीके शिवकुमार का पूरा नाम डोड्डालाहल्ली केम्पेगौड़ा शिवकुमार है। वे वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। साथ ही कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। मौजूदा समय में वे कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। इससे पहले एचडी कुमारस्वामी की सरकार में सिंचाई मंत्री और सिद्धारमैया सरकार में ऊर्जा मंत्री रह चुके हैं। आपको बता दें कि डीके शिवकुमार इंदिरा गांधी के समय से सक्रिय हैं।
कांग्रेस ने साल 1979 में डीके को सौंपी थी बड़ी जिम्मेदारी
साल 1979- यह वो समय था जब कर्नाटक के पहले सीएम देवराज उर्स और इंदिरा गांधी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था। सीएम देवराज ने पार्टी तोड़ दी थी और एक अलग रास्ता बनाकर उसपर आगे निकल गए थे। सूबे के अधिकतर नेता देवराज के साथ थे और वे भी उनके रास्ते पर भी चल दिए। इसके बाद यूथ कांग्रेस में मानो भगदड़ मच गई थी। इस समय डीके शिवकुमार कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे और यूथ कांग्रेस के मेंबर थे। पार्टी में भगदड़ मचने के बाद पार्टी ने शिवकुमार को स्टूडेंट यूनियन का सचिव बना दिया। साथ ही यह जिम्मेदारी दी कि छात्रों को पार्टी से जोड़ें।
पार्टी ने इस कद्दावर नेता के सामने चुनावी मैदान में उतारा
साल 1985- इस साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहा था। चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने बड़ा दांव खेला और डीके शिवकुमार को कद्दावर नेता एचडी देवगौड़ा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार दिया। देवगौड़ा इससे पहले 4 बार के विधायक और दो बार विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रह चुके थे। लेकिन इसके बाद भी एक नौजवान को देवगौड़ा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार दिया गया। चुनाव में शिवकुमार का प्रदर्शन ठीक रहा और उन्होंने कड़ी चुनौती दी, लेकिन चुनाव हार गए। वहीं, देवगौड़ा ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों सीटों पर जीत भी हासिल की। इसके बाद उन्होंने साथनूर सीट छोड़ दी। इसके बाद यहां उपचुनाव हुआ और डीके शिवकुमार ने जीत हासिल की। इसके बाद अब तक एक भी ऐसा मौका नहीं आया जब उन्हें हार का सामना करना पड़ा हो।
27 साल की उम्र में बने मंत्री
साल 1989- इस साल हुए चुनाव में पार्टी ने एक बार फिर डीके शिवकुमार पर ही भरोसा जताया और साथनूर से चुनावी मैदान में उतारा। इस बार भी उनके सामने एचडी देवगौड़ा ही थे, लेकिन इस बार देवगौड़ा को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद इस जीत का इनाम भी कांग्रेस पार्टी ने डीके शिवकुमार को दिया। साल 1989 में कांग्रेस के एस. बंगारप्पा सूबे के मुख्यमंत्री बने और 27 साल की उम्र में ही डीके शिवकुमार को मंत्री बना दिया गया। साथनूर विधानसभा सीट से शिवकुमार साल 1989, 1994, 1999 और 2004 में जीत हासिल की। इसके बाद साल 2008 में उन्हें कनकपुरा विधानसभा से टिकट दिया गया और वहां भी शिवकुमार को जीत मिली।
देवगौड़ा फैमिली के लिए ‘अभिशाप’
देवगौड़ा फैमिली के लिए डीके शिवकुमार अभिशाप बनकर सामने आए। उन्होंने कई चुनावों में देवगौड़ा फैमिली को हराया। डीके ने पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा, उनके बेटे कुमारस्वामी और उनकी पत्नी अनीता कुमारस्वामी को पटखनी दी है। साल 1989 में शिवकुमार ने पूर्व पीएम देवगौड़ा को हराया था। इसके बाद साल 1999 में साथनूर विधानसभा सीट से देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी को टिकट दिया गया था, लेकिन डीके शिवकुमार ने उन्हें भी पटखनी थी। इसके बाद एक चुनाव में शिवकुमार ने कुमारस्वामी की पत्नी अनीता कुमारस्वामी को चुनावी मैदान में मात दी थी।
जब साल 2019 में जाना पड़ा जेल
वहीं, साल 2019 में कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार के सामने एक मुसीबत आ खड़ा हुआ। प्रवर्तन निदेशालय ने शिवकुमार को मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के मामले में गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद वे करीब चार महीने जेल में रहे और फिर बाद में जमानत पर बाहर आ गए।
1413 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक
डीके शिवकुमार की संपत्ति की बात करें तो उनकी गिनती कर्नाटक में सबसे अमीर विधायक के रूप में होती है। उनके पास करीब 1413 करोड़ रुपए की संपत्ति है। साथ ही 970 रुपए की अचल संपत्ति है। साथ ही उनके पास कई बैंक अकाउंट, लैंड, बॉन्ड्स और गोल्ड हैं।
सही समय पर दांव लगाना बखूबी जानते हैं
बहरहाल, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यह बखूबी जानते हैं कि सही समय पर दांव लगाकर अपने सपने को कैसे पूरा किया जाता है। उनकी इस नीति ने उन्हें कामयाबी भी दिलाई है और यही वजह है कि आज वे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों की रेस में शामिल हैं। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि डीके शिवकुमार का हाल भी राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट जैसा हो सकता है। पायलट ने भी साल 2018 में बतौर प्रदेश अध्यक्ष राजस्थान में कांग्रेस को भारी जीत दिलवाई थी, लेकिन इसके बाद वरिष्ठ नेता के आधार पर अशोक गहलोत को सत्ता की चाबी सौंप दी गई और पायलट को डिप्टी सीएम बना दिया गया था। बहरहाल, अभी तक कांग्रेस आलाकमान की ओर से मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई एक नाम सामने नहीं आया है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि आज इसका ऐलान संभव है। कर्नाटक के सभी वरिष्ठ नेता और सभी पर्यवेक्षक दिल्ली में मौजूद हैं। वहीं, सिद्धारमैया के बाद आज डीके शिवकुमार भी दिल्ली पहुंच गए हैं।