छत्तीसगढ़ राज्य सरकार का बजट निराशाजनक है। कांग्रेस चुनावी वादों के तहत कांग्रेस जन घोषणा पत्र को भूल गई। सरकार चुनावी वादों के तहत लगभग 70 वादे किए गए थे।
भूपेश सरकार ने युवाओं और महिलाओं को राज्य में नौकरी-पेशा कर रहे सरकार के अधीन मध्यम वर्गीय लोगों को छला है । भूपेश सरकार का बजट छत्तीसगढ़ को आगे ले जाने वाला नहीं है। इस बजट में कोई विजन नहीं है केवल बड़ी बड़ी बातें हैं । घोषणाएं जब पूर्व की वादों पर खड़ा नहीं उतरे तो वर्तमान की घोषणाओं पर क्या होगा?
शराबबंदी को लेकर भी बजट में ऐसे कोई विशेष प्रावधान नहीं किए गए हैं, ऐसे में सरकार का मदिरा प्रेम छुपाए नहीं छुपता । बजट की दिशा जनता के लिए भटकी हुई नजर आती है । नरवा गुरुवा धुरवा और बाड़ी का नारा खोखला साबित हुआ है। किसानों को कर्ज़ के नाम पर छला गया है। बिजली बिल हाफ की घोषणा को छला केवल 400 यूनिट तक हाफ कर । घरेलू उपभोक्ता के नाम पर बजट में शामिल कर कृषक उपयोग बिजली कमर्शियल और इंडस्ट्रियल बिजली बिल पर भार पड़ने वाला है ।
10 लाख बेरोजगारों को 25 सौ रुपया देने का बजट में कहीं कोई जिक्र ही नहीं है। 60 वर्ष वालों को 1 हजार रुपया वहीं 75 वर्ष वालों को 1500 रुपए प्रतिमाह तो विधवा को 1 हजार प्रतिमाह की बात न रखकर सरकार ने जनता को चिटफंड टाइप ठगने का काम किया है । छत्तीसगढ़ के युवा एवं युवती वर्ग के लिए नए रोजगार का कोई प्रावधान बजट में नहीं दिखता ।
कांग्रेस सरकार अपने पहले ही बजट में चुनावी वादों पर खड़ी नहीं उतरी है । कांग्रेस पार्टी 55 साल राज्य करने के अपने पुराने ट्रैक पर वापस आ गई है। लगभग 200 फूड पार्क की बात करने वाले सिर्फ प्रारंभिक तौर पर 5 फूड पार्क के लिए 50 करोड़ का प्रावधान किया है , जिससे स्पष्ट है किसानों को कर्ज माफी की तरह उनके उत्पादों की फूड पार्क में प्रोसेसिंग कर संरक्षित करने के वादे से भी सरकार हाथ उठाते दिख रही है ।
सरकार के इस बजट में बिलासपुर के लिए किसी तरह का कोई प्रावधान विशेष तौर पर नहीं किया गया है। अंतः सलिला अरपा माई के लिए प्रादेशिक स्तर पर आंदोलन के उपरांत कांग्रेस सरकार ने आने वाले समय में यदि सरकार आई तो अरपा में 12 माह पानी रहे इस हेतु बड़े-बड़े वादे किए थे, उन सभी वादों को भूल गई ।
कांग्रेस सरकार शिक्षाकर्मियों के आंदोलन में चुनावी पूर्व समर्थन कर सरकार आने के उपरांत कांग्रेस ने बड़े-बड़े वादे इनके साथ मिलकर किए ,किंतु कांग्रेस सरकार के पहले बजट में ही शिक्षाकर्मी आइसक्रीम के चक्कर में चुना खा गए। इस वर्ग हेतु भी कोई प्रावधान बजट में नहीं किया गया ।
बिलासपुर के घोषणा पत्र चुनावी वादे तत्कालीन विधानसभा चुनाव में प्रादेशिक घोषणा पत्र के साथ-साथ स्थानीय प्रत्याशी ने घोषणा पत्र बनाकर बांटा था । उन सभी वादों पर सरकार या स्थानीय जनप्रतिनिधि नेतृत्व को बजट में ध्यान नहीं दिया गया। इस बजट में बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे बिलासपुर के लिए कुछ भी करा पाने में असमर्थ रहे।
छत्तीसगढ़ की जनता के साथ छला वे बजट कांग्रेस सरकार के द्वारा लाया गया है । दयालपुर की जनता ने बिलासपुर के लिए उन्हें बिलासपुर का नया नेता चुना लेकिन बिलासपुर को कुछ नहीं मिला इस बजट से साफ तौर पर दिखता है।
मनीष अग्रवाल
भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता