मौका था INH चैनल के टाटा स्काई में लांचिंग का। हरिभूमि ग्रुप के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ही ये करामात कर सकते थे कि राज्य के तीनों मुख्यमंत्री, वह भी एक दूसरे के विरोधी को एक मंच पर लाया जाए। लांचिंग के इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ दोनों पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह व अजीत जोगी मौजूद थे।
इस शानदार आयोजन की सफलता में कोई शक नहीं है, लेकिन इस आयोजन में चार चांद लगा दिए प्रदेश के तीनों वरिष्ठ नेताओं की ठहाके लगा देने वाली और राजनीतिक संदेश दे जाने वाली वाकपटुता ने।
रायपुर के होटल एंब्रुशिया का लॉन पूरा भरा हुआ था। क्या मंत्री, क्या भूतपूर्व मंत्री, क्या अफसर और क्या कलाकार-पत्रकार। सारे मौजूद थे। डा. हिमांशु द्विवेदी ने बेहद शानदार स्वागत किया सभी आगंतुकों का और सभी अतिथियों का, लेकिन उन्होंने मंचस्थ अतिथियों काे कुछ इस तरह संबोधित किया कि…भूतपूर्व मुख्यमंत्री मान. अजीत जोगी….पूर्व मुख्यमंत्री मान. डॉ. रमन सिंह….और वर्तमान मुख्यमंत्री मान. भूपेश बघेल जी…। इस संबोधन के बाद मुख्य वक्ता के तौर पर अजीत जोगी के हाथ में माइक आया।
क्या कहा अजीत जोगी ने…
अजीत जोगी ने माइक लेते ही पहला शब्द कहा कि मुझे हिमांशु जी के भूतपूर्व शब्द पर आपत्ति है। माहौल में जो थोड़ी-बहुत खुसुर-फुसुर थी, इतना सुनते ही माहौल एकदम शांत पड़ गया। लोग एक दूसरे का चेहरा भी देखने लगे कि अगले ही पल जोगी जी ने आप मेरा परिचय राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में भी तो दे सकते थे। भूत और पूर्व शब्द क्यों?
इसके बाद तो पूरे माहौल में जो ठहाके गूंजे, उसे वहां मौजूद लोग ही महसूस कर सकते थे। मंच पर मौजूद डा. रमन सिंह और भूपेश बघेल जी भी खुद को रोक नहीं पाए और उनके चेहरे खिलखिलाते हुए बड़ी स्क्रीन पर नज़र आने लगे।
जोगी जी फिर गंभीर हो गए। थोड़ा रुके और बोले- जब हम तीनों जो बिल्कुल विरोधी माने जाते हैं, आज इस मंच पर एक दूसरे से मंच पर हंसते हुए बात कर रहे थे, तो जाहिर तौर पर आप सभी यह सोच रहे होंगे कि ये लोग बात क्या कर रहे हैं? अब अगर मैं ये न बताऊं, तो भी आप सभी इस प्रश्नवाचक चिन्ह को अपने माथे पर लेकर जाएंगे, इसलिए मैं बता ही देता हूं। इतना कहकर जोगी जी ने भूपेश बघेल की ओर देखा। और इसके बाद जो कहा, वह आखिरी तक पूरे कार्यक्रम की जान बन गया।
जोगी जी ने कहा- “जब भूपेश बघेल जी दीप प्रज्जवलन करके आए और डा. रमन सिंह जी की बगल में बैठे, तो मैंने भूपेश जी से कान में कहा- जला दिया…। जोगी जी ने “जला दिया” को थोड़ा लंबा खींचकर और ज्यादा वज़न देकर कहा और जैसे ही उन्होंने यहा कहा- वहां मौजूद सारे लोग पेट पकड़कर हंसने लगे। मंच पर मौजूद भूपेश जी और डा. रमन सिंह का चेहरा फिर से ठहाके की मुद्रा में दिख रहा था। जोगी जी ने भी लोगों को हंसने का पूरा वक्त दिया और फिर जब माहौल थोड़ा शांत हुआ, तो बोले- अब चुनाव के बाद आज पहली बार जब हम एक साथ बैठे हैं, तो जिस तरह भूपेश जी आग लगाने का काम कर रहे हैं, उस पर मैंने ये बात कही…और यहां कई पत्रकार मौजूद हैं, तो मैं समझता हूं कि ये बात पूरे प्रदेश तक तो जाएगी ही…। इस तरह जोगी जी ने कुछ ऐसी खट्टी-मीठी बातों के साथ अपना संबोधन पूरा किया।
अब बारी आई, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह जी की। वे भी डायस पर पहुंचे। उन्होंने माइक थामा और जो पहला शब्द कहा, उसे सुनते ही वहां उपस्थित सारे लोग उतनी ही जोर से हंसे, जितनी जोर से जोगी जी के समय हंसे थे। उन्होंने जोगी जी की आपत्ति को ध्यान में रखते हुए पहला शब्द कहा- छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री मान. श्री अजीत जोगी जी….
इसे सुनकर पूरे माहौल में जो गुदगुदी हुई, उसे बयां करना मुश्किल लगता है। खुद डॉ. रमन सिंह ठहाके लगा रहे थे और जोगी जी की ओर देख रहे थे। उन्होंने डॉ. हिमांशु दि्ववेदी की तारीफ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री रायगढ़ आने वाले हैं, मुझे रायगढ़ जाना था, लेकिन ये सिर्फ और सिर्फ हिमांशु हैं, जिसके कारण मैं छह से सात घंटे लेट हो चुका हूं। कुछ इस तरह उन्होंने अपना भाषण खत्म किया।
इसके बाद बारी थी छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की। भूपेश बघेल जी भी कहां मौका चूकने वाले नेता हैं। उन्होंने भी जोगी जी की आपत्ति को ध्यान में रखते हुए कुछ ऐसा कहा कि तीसरी बार पूरा माहौल ठहाकों से गूंज उठा…। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपना संबोधन कुछ ऐसे आरंभ किया….
मंच पर उपस्थित छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री माननीय श्री अजीत जोगी जी…और
मंच पर उपस्थित छत्तीसगढ़ के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी..
यह कहते हुए उन्होंने संदेश दिया कि मुझे न तो भूत लगाना है और न ही पूर्व, ताकि न जोगी जी को आपत्ति हो और न ही डॉक्टर रमन सिंह जी को। भूपेश बघेल जी के यह कहने के बाद तो मौजूद सारे लोग जोर से हंसने लगे और फिर बघेल जी ने आगे कहा-
दीप प्रज्जवल के बाद जोगी जी ने मुझसे कहा-
“जला दिया”
भूपेश बघेल जी ने जला दिया को उतना ही लंबा खींचा और उतने ही वजन के साथ कहा, जैसा जोगी जी ने कहा था…उनके इस तरह जला दिया कहने पर एक बार फिर सारे के सारे चेहरे ठहाके लगाते हुए दिख रहे थे। भूपेश बघेल जी ने भी लोगों को हंसने का उतना ही वक्त दिया, जितना कि जोगी जी ने दिया था और ऐसा कहते हुए वे जोगी जी की तरफ भी देख रहे थे। बघेल जी ने आगे कहा-
चुनाव के परिणाम जिस तरह आए और कांग्रेस जिस तरह सत्ता पर आई, उसमें यह कहना स्वाभाविक है। विद्वान लोग इसकी व्याख्या अपनी अपनी तरह से कर सकते हैं।
इसके बाद भूपेश बघेल जी ने डा. रमन सिंह की तरफ देखा और फिर कहा-
….और इस व्याख्या में ऐसा संदेश भी जा सकता है कि “जला दिया”( फिर से वही जोगी जी वाली स्टाइल में कहा)
यह सुनकर एक बार फिर जोरदार ठहाका लगा।
वहां मौजूद सारे अतिथियों ने डा. हिमांशु द्विवेदी की जमकर तारीफ की। ख़ासकर कांग्रेस के राजेंद्र तिवारी ने आईएनएच और डॉ. हिमांशु द्विवेदी को लेकर एक रोचक हकीकत साझा की।
राजेंद्र तिवारी ने कहा-
चुनाव से पहले मुझे माननीय भूपेश बघेल जी ने मीडिया से विज्ञापन और तमाम चीजों के लिए बात करने के लिए कहा। इसके लिए मुझे बहुत ही कम बजट दिया गया। तो मैंने भूपेश जी से कहा कि यह बजट तो ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर भी नहीं है। ऐसे में मीडिया से मैं कैसे विज्ञापन की बात कर पाऊंगा। भूपेश जी ने कहा- मैं नहीं जानता, हमारी लड़ाई धनबल से है और हमारे पास अब धन नहीं है। आप देखिए कि आप क्या कर सकते हैं।
राजेंद्र तिवारी ने आगे कहा- मैं दुविधा में पड़ गया कि आख़िर करूं तो क्या करूं। मैं अपनी इस दुविधा के साथ हिमांशु जी के पास आया और अपनी यह दुविधा बताई। हिमांशु जी ने मुझे कहा- राजेंद्र जी, आपके पास जितना है, आप उतना ही कीजिए और यकीन रखिए आप जितना चाहेंगे, उतना छपेगा, जैसा चाहेंगे, वैसा छपेगा। हरिभूमि किसी भी सच को नहीं छिपाएगा और किसी भी झूठ को नहीं बताएगा।
राजेंद्र तिवारी ने आगे कहा- डा. हिमांशु द्विवेदी ने उस वचन का अक्षरश: पालन किया। उन्होंने कांग्रेस का पक्ष नहीं लिया, तो पूरी तरह निष्पक्ष होने का भी काम किया। और हमारे लिए यही बहुत बड़ी बात थी कि हरिभूमि ने निष्पक्षता का परिचय दिया। यह हमारे चुनाव की बड़ी ताकत थी। इतना सुनते ही जमकर लोगों ने हरिभूमि और डा. हिमांशु द्विवेदी के सम्मान में तालियां बजाईं।
एक और बात…
जोगी जी की जीजिविषा….
वाकई, अजीत जोगी जी के प्रति इस मौके पर एक ऐसा क्षण आया, जब दिल से उनका उस वक्त सम्मान करने का मन हुआ। उनकी जीजिविषा गजब की है। वे मंच पर बैठे थे। उन्होंने अपना उद्बोधन खत्म कर अपना स्थान ग्रहण किया। इसके बाद जब संचालक अपनी बात कर रहे थे, तब उन्हें शायद प्यास लग आई। ऐसा कौन होता, जिनसे वे कहते कि कृपया पानी की बोतल दे दीजिए…लेकिन उन्होंने किसी से कहा नहीं। अपनी व्हील चेैयर को पानी की टेबल तक खुद लेकर आने के लिए बढ़े, झुककर उसे लेने की कोशिश की। साफ दिख रहा था उन्हें तकलीफ हो रही है, लेकिन उन्होंने किसी से मदद नहीं ली। डॉ. हिमांशु द्विवेदी जी ने इसे देखा और तुरंत उठे और उन्हें खुद पानी की बोतल दी और जोगी जी फिर पीछे अपने स्थान पर गए। इस उम्र और अवस्था में भी उनकी इस जीजिविषा को नमन है।
लेखक: यशवंत गोहिल