धूमधाम से मनाया गया भगवान श्री परशुराम का जन्मोत्सव

समग्र ब्राम्हण समाज एवं परशु सेना के नेतृत्व में हुआ आयोजन

बिलासपुर । समग्र ब्राम्हण समाज एवं परशु सेना के नेतृत्व में भगवान श्री परशुराम जी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर विप्र समाज के द्वारा दयालबंद स्थित शीतला माता मंदिर से भव्य शोभायात्रा निकाली गई उसके बाद पं.देवकीनंदन दीक्षित स्कूल में धर्मसभा का आयोजन किया गया जहां गौरीकापा कवर्धा के शनि शिव दुर्गा मंदिर से विशेष रूप से पधारें 1008 श्री विवेक गिरी जी महाराज के आशीर्वचनों से समाज कृतार्थ हुआ।

प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी अक्षय तृतीया के दिन भगवान श्री परशुराम जी की जयंती के अवसर पर समग्र ब्राम्हण समाज एवं परशु सेना द्वारा भगवान का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.जिसमें सर्वप्रथम बाजे-गाजे के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गई.इस दौरान शोभायात्रा मार्ग को झंडा,तोरन तथा स्वागत द्वार से सजया गया था ।शोभायात्रा शीतला माता मंदिर दयालबंद से प्रारंभ होकर शहर के मुख्य मार्गों गांधी चौक,जूना बिलासपुर,गोल बाज़ार,सदर बाज़ार सिम्स चौक होते हुए पं.देवकीनंदन दीक्षित स्कूल प्रांगण में धर्मसभा के रूप में तब्दील हुआ जहां गौरीकापा कवर्धा के शनि शिव दुर्गा मंदिर से विशेष रूप से पधारें 1008 श्री विवेक गिरी जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित किया। इस दौरान विवेक गिरी जी ने कहा भगवान श्री परशुराम त्याग और तपस्या के बल पर मौजूद है,समाज को हमेशा की तरह राष्ट्र निर्माण तथा जीवन की आचरण संहिता के पालन में अपनी भूमिका का निर्वहन करना है।

उन्होंने कहा कि कर्म हमारी छाया है जो हमारे साथ चलती है और अंत में उसका प्रतिफल हमें अवश्य मिलता है।धर्म सभा के बाद आयोजन समिति द्वारा भजन संध्या का भी आयोजन किया गया था जिसका समाज के लोग देर रात तक आनंद लेते रहे.अंत में महाप्रसाद के रूप में आयोजित समिति द्वारा भोजन की व्यवस्था की गई थी जिसको समाज के लोगों ने ग्रहण किया।इससे पूर्व शोभायात्रा का जगह-जगह विभिन्न सामाजिक संगठनों जिसमें कैलाश हार्डवेयर,गांधी चौक में पूज्य सिंधी सेंट्रल समाज,जूना बिलासपुर में परशुराम समिति,हनुमान मंदिर के पास राजपूत करणी सेना,ज्वाली नाला के पास नरेंद्र बोलर,घोंघा बाबा मंदिर के पास मारवाड़ी ब्राम्हण समाज,गोल बाजार में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल एवं साथियों द्वारा,गोल बाजार व्यापारी संघ,सदर बाजार में शहजादी कुरैशी, हटरी चौक में कान्यकुब्ज महिला ब्राम्हण समिति,देवकीनंदन चौक में ब्राम्हण युवा आयाम तथा अन्य संगठनों द्वारा स्वागत किया गया।

इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से चंद्र प्रकाश वाजपेयी,राजेश पांडेय,विवेक वाजपेयी,बंशीलाल गौरहा,डाॅ.विनोद तिवारी,विनय शर्मा,सुदेश दुबे,राजकुमार तिवारी,सुशांत शुक्ला,आदर्श दुबे,जितेंद्र चौबे, जय श्री शुक्ला,विभा गौरहा, संगीता शुक्ला,गीता तिवारी,सविता शर्मा,मधु शर्मा,अलका तिवारी,सुषमा पाठक,वंदना शर्मा,राजेश्वरी तिवारी संदीप पांडे,देवेंद्र मिश्रा,आशुतोष तिवारी,मनीष शर्मा,अमित शुक्ला विवेक दुबे,रोशन अवस्थी,गोपाल दुबे,अनुग्रह मिश्रा,अखिलेश पांडे,अंशुमान शर्मा,नवीन तिवारी,रोशन अवस्थी,विनय अवस्थी,पिंकू अवस्थी,शंशाकशेखर मिश्रा,बिट्टू तिवारी,प्रतीक तिवारी,अंकित पाठक,अंचल दुबे,अंकित तिवारी,नितिश शर्मा, विकास दीक्षित आर्यन दुबे,अमित रंजन पांडेय,अभिषेक दुबे समेत विप्रजन उपस्थित रहें।

अरपा बचाने का लिया गया संकल्प

‎इस बार भगवान श्री परशुराम जी के जन्मोत्सव को विप्र समाज द्वारा अरपा नदी को समर्पित करते हुए उसे बचाने एवं संरक्षित करने का संकल्प लिया गया। इस अवसर पर परशु सेना के विनय शर्मा ने कहा कि बिलासपुर की जीवन दायिनी है मां अरपा,जो अभी संकट के दौर से गुजर रही है.वर्षो से उपेक्षित मां अरपा को बचाने तथा उसे उसके मूल अवस्था में लाने हम सबकों मिलकर प्रयास करना होगा।

पारंपरिक लोकनृत्य एवं झांकियां रही आकर्षण का केंद्र

शोभायात्रा का नेतृत्व प्रदेश की पारंपरिक लोकनृत्य पंथी, कर्मा एवं गेड़ी के साथ अन्य प्रदेशों से आएं पारंपरिक नर्तक दल ने किया , साथ ही भगवान श्री परशुराम जी की जीवंत झांकी के अलावा अन्य झांकियां भी आकर्षण का केंद्र रहीं।

समाज के विभूति हुए सम्मानित

पं.देवकीनंदन दीक्षित स्कूल प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में किए गए उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले समाज के विभूतियों का भी सम्मान किया गया जिनमें निगम कमिश्नर प्रभाकर पांडे,एडिशनल एसपी ओम प्रकाश शर्मा,डीएसपी अभिनव उपाध्याय,डीएसपी चंचल तिवारी,मोनिका पाठक , डाॅ.सुरेश तिवारी,योगेश
करंजगावकर,डाॅ.कि.व.देवरस,डाॅ.आर.ए.शर्मा,श्याममोहन दुबे,समेत अन्य विभूतियों का सम्मान किया गया।

जय-जय परशुराम के जयकारे से गुंजयमान होता रहा आसमान

शोभायात्रा के दौरान विप्रजन अपने अराध्य देव भगवान श्री परशुराम जी के जयकारा लगाते रहें जिससे आसमान जय-जय परशुराम के नाम से गुंजयमान होता रहा।

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