सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हिंदुओं की भावनाओं का ख्याल नहीं रखा : मोहन भागवत

प्रयागराज। विहिप की धर्म संसद में अपने संबोधन के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सबरीमाला मंदिर में प्रतिबंधित उम्र वर्ग की महिलाओं के प्रवेश संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसमें हिंदुओं की भावनाओं का ख्याल नहीं रखा गया।

उन्होंने कहा कि कोर्ट ने फैसला तो सुना दिया लेकिन इससे करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं एवं सम्मान आहत हुए, इसका ख्याल नहीं रखा गया। भागवत ने कहा कि महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहती हैं, लेकिन श्रीलंका से लाकर उनको पिछले दरवाजे से प्रवेश कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म को ठेस पहुंचाने की साजिश चल रही है।

आरएसएस प्रमुख ने कहा, कोर्ट ने कहा महिला अगर प्रवेश चाहती है तो करने देना चाहिए। अगर किसी को रोका जाता है तो उसको सुरक्षा देकर जहां से अब दर्शन करते हैं वहां से ले जाना चाहिए। लेकिन कोई जाना नहीं चाह रहा है इसलिए श्रीलंका से लाकर इनको पिछले दरवाजे से घुसाया जा रहा है। भागवत ने कहा कि भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह, बोलने वाले साथ मिलकर हमारे समाज में महिला-पुरुष में भेदभाव की बात लोगों के दिमाग में फैलने का काम कर रहे हैं। यह कपट है। राजनीतिक विवाद के कारण समाज को तोड़कर वोटों की कटाई करने वाले लोग ऐसा कर रहे हैं।

भागवत ने केरल सरकार की ओर इशारों में कहा कि ये ऐसे संगठन हैं जो देश को तोड़ने की घोषणा कर रहे हैं, संविधान की अवहेलना कर एक संप्रदाय के प्रभुत्व की घोषणा कर रहे हैं ऐसे संगठन। केरल का हिंदू समाज इसे लेकर प्रखर आंदोलन कर रहा है। 5 लोगों का बलिदान हुआ है। हिंदू समाज को ठेस पहुंचाने के लिए नई-नई योजनाएं बन रही हैं। भागवत ने कहा कि अयप्पा केवल केरल के हिंदुओं के भगवान नहीं हैं। यह सभी हिंदुओं के भगवान हैं। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में पूरा हिंदू समाज शामिल है। अयप्पा के भक्त हिंदू समाज के सभी नागरिक हैं। संपूर्ण देश में हमें वस्तुस्थिति बताकर लोगों को जागरूक करना होगा। हिंदुओं के खिलाफ षडयंत्र चल रहा है। कहीं-कहीं षडयंत्र चल जाता है। उसका कारण हमारी कमियां हैं। पंथ, भाषा, जात-पात के नाम पर कोई व्यक्ति हमें अलग नहीं कर सके। सामाजिक समरसता का काम शुरू होना चाहिए।

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