तखतपुर । छत्तीसगढ़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दो बार तखतपुर से विधायक रहे बलराम सिंह ठाकुर का निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति ही है। वे आयु में मुझसे बहुत बड़े और प्रभावशाली व्यक्ति थे किंतु हम दोनों को एक बात जोड़ती थी कि दोनों मां महामाया(रतनपुर) के भक्त थे। इस भक्ति ने हमें न सिर्फ जोड़ा बल्कि बहुत करीब ला दिया। मां
महामाया,रतनपुर के मंदिर के ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने बहुत सार्थक प्रयास किए। मंदिर की भव्यता और भक्तों के लिए सुविधाओं का विस्तार किया। आज हम मंदिर के प्रांगण को जिस भव्य रूप में देखते हैं, उसमें उनकी दृष्टि और भक्ति दोनों का योगदान है।
उनके चारों पुत्रों आशीष सिंह ,आलोक सिंह, अखिल सिंह एवं आदित्य सिंह से भी मेरा परिचय आया। पर मैं अपने करीब ठाकुर साहब को ही पाता था। एक तो वे जैसे थे वैसे ही थे। उन्होंने अपनी जिंदगी अपने तरीके से जी और दोस्तियां निभाहीं। वे यारों के यार थे और बातों के धनी। जिन दिनों में बिलासपुर भास्कर में काम करता था, उनसे अक्सर मुलाकातें होती थीं। वे अपने लोगों से घिरे रहते थे, फिर भी जलेबी के साथ जलपान जरूर कराते। खाना-खिलाना उनका शौक था। विद्वानों का आदर उनके स्वभाव में था। अखबारों को बहुत ध्यान से पढ़ते थे और चर्चा करते थे।
मेरी उनके साथ अनेक यादें हैं। अक्सर हम रतनपुर साथ जाते। मां के दर्शन करते और साथ भोजन भी। लोगों का ख्याल रखना और उनके सुख-दुख में खड़े होना उन्हें आता था। उनकी बहू रश्मि सिंह आज तखतपुर से विधायक हैं और अपने ससुर की राजनैतिक उत्तराधिकारी भी। उनका पूरा परिवार आज पितृछाया से वंचित हो गया है। उनके दुख की कल्पना की जा सकती है। मैं भी ठाकुर साहेब द्वारा बनाए गए महापरिवार का हिस्सा हूं और इस दुख में शामिल हूं। इस दुखद सूचना पर उनकी एक याद जाती है तो तुरंत दूसरी आती है। सच उन्हें भूलना कठिन है। उनके प्यार के लिए, उनकी सदाशयता और मेरे प्रति उनके वात्सल्य के लिए।
उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। परमपिता उन्हें सद्गति प्रदान करे।
संजय द्विवेदी
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय