रायपुर में नए एसएसपी अजय यादव ने ज्वाइनिंग के साथ ही एक हिदायत दी थी बदमाशों, बदल जाओ…बेसिक पुलिसिंग करुंगा, बाकी चीजें बाद की बात। एक सप्ताह भी नहीं हुआ है, असर दिखने लगा है। राजधानी के चौक-चौराहों पर पुलिस मुस्तैद है। गाड़ियों की तलाशी ली जा रही है। जिनकी गाड़ियों में रॉड, डंडे, चाकू, तलवार जैसीी चीजें मिल रही हैं, उनका तो ख़ुदा ख़ैर करे। 28 गुंडा-बदमाशों की लिस्ट निकाल दी और फिर गुरुवार को ऐसे ही एक बदमाश सलमान का जुलूस भी निकाल दिया। संकेत साफ है कि सुधर जाओ, वरना बख्शे नहीं जाओगे।
वैसे, अजय यादव के बारे में जो जानते हैं, वो इतना जरूर जानते होंगे कि क्राइम डिटेक्शन रेट उनका फोकस होता है। मानवीय और सामाजिक पहलुओं को भी वे देखते हैं, सोशल मीडिया में भी पुलिस को एक्टिव करेंगे, लेकिन प्राथमिकता बेसिक पुलिसिंग ही रहेगी। उनका ट्रैक रिकार्ड देखा जाए, तो आक्रामक पुलिसिंग का अंदाज़ दिखता है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस बात को लेकर सजग हैं कि राजधानी और राजधानी से सटे इलाकों में लॉकडाउन के बाद क्राइम पैटर्न में बदलाव आया है, लिहाजा सख़्ती की बेहद जरूरत है। अपने क्षेत्र दुर्ग-भिलाई में एसएसपी अजय यादव के काम का ढंग उन्होंने देखा और तय कर लिया कि राजधानी को क्राइम फ्री जोन में तब्दील करना है, तो सख्ती जरूरी है। इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि इससे पहले एसएसपी आरिफ शेख कमज़ोर थे। उन्हें बेहद अहम ज़िम्मेदारी देकर उनका कद मुख्यमंत्री ने बढ़ाया ही है। एसएसपी आरिफ शेख और एसएसपी अजय यादव दोनों के काम करने का अंदाज़ जुदा है और दोनों ही अपने-अपने कोर एरिया के मास्टर हैं।
इस समय राजधानी में एसएसपी को कई चुनौतियों का सामना करना होगा, उनमें क्राइम रेट को कम करने के साथ साथ क्राइम डिटेक्शन रेट को भी कंट्रोल करना होगा। एक बात काबिले गौर है कि उत्तरप्रदेश के कानपुर की घटना ने पूरे देश को विचलित किया है। कोई भी सत्ताधारी दल नहीं चाहेगा कि उन पर क्राइम को लेकर सवाल उठे और इसके लिए तेज तर्रार अफसरों की जरूरत है। ऐसे पैरामीटर्स पर एसएसपी अजय यादव पहले भी खरे उतर चुके हैं क्योंकि सख्ती ही उनका अंदाज़ है, लेकिन राजधानी की गलियों में सत्ता का पानी हर दूसरा आदमी पीता है। ऐसे लोगों का पानी वे कैसे उतार पाएंगे, ये तो वक़्त ही बताएगा…
फिलहाल, उन्हें शुभकामनाएं….