नई दिल्ली । तेज गेंदबाज एस. श्रीसंत को स्पॉट फिक्सिंग मामले में राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन पर क्रिकेट खेलने पर लगे लाइफ बैन को हटा दिया है, इसके साथ ही मामले को फिर से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पास भेजा है। शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में कहा कि लाइफ बैन की कठोर सजा सभी मामलों में नहीं होनी चाहिए और BCCI की अनुशासन समिति ने उन परिस्थितियों को नहीं देखा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये साफ करना चाहते हैं कि हमारे इस आदेश का दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे क्रिमिनल केस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बीसीसीआई की अनुशासनात्मक कमेटी सजा के लिए श्रीसंत की बात भी सुनेगी और तीन माह में फैसला करेगी ।
गौरतलब है कि बीसीसीआई द्वारा लगाए गए लाइफ बैन के खिलाफ एस. श्रीसंत द्वारा दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 28 फरवरी को फैसला सुरक्षित रखा था। बीसीसीआई ने श्रीसंत पर आईपीएल-2013 में स्पॉट फिक्सिंग मामले में लाइफ बैन लगाया था। बीसीसीआई के इस निर्णय के खिलाफ श्रीसंत ने याचिका दायर की थी, जिस पर पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। बीसीसीआई की ओर से इस मामले में अदालत में कहा कि श्रीसंत पर भ्रष्टाचार, सट्टेबाजी और खेल को बदनाम करने के आरोप हैं।
बोर्ड की ओर से अदालत में दलील दे रहे वरिष्ठ वकील पराग त्रिपाठी ने कहा कि खेल में भ्रष्टाचार और सट्टेबाजी के लिए सजा लाइफ बैन है। त्रिपाठी ने इस मसले पर बीसीसीआई की जीरो टॉलरेंस नीति का हवाले देते हुए अदालत को बताया कि श्रीसंत ने कभी भी बीसीसीआई की भ्रष्टाचाररोधी इकाई के सामने इस बात का जिक्र नहीं किया था कि सट्टेबाजों ने उनसे संपर्क साधा था।
बीसीसीआई ने अदालत में कहा कि श्रीसंत ने उन 10 लाख रुपये के स्रोत के बारे में भी जांच समिति को नहीं बताया, जिसका जिक्र टेलीफोन पर की गई बातचीत में किया गया है।
मामले में श्रीसंत की तरफ से दलील दे रहे वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि यह बीसीसीआई को स्थापित करना है कि वह 10 लाख रुपये मैच फिक्सिंग से संबंधित हैं। टेलीफोन पर हुई बातचीत को लेकर खुर्शीद ने कहा कि लेनदेन तब होता जब खिलाड़ी एक ओवर में 14 रन से कम देता। अपनी बात खत्म करते हुए खुर्शीद ने अदालत से कहा कि युवा क्रिकेट खिलाड़ी जो अब युवा नहीं रहा, लेकिन अभी भी उसमें क्रिकेट को लेकर जुनून बाकी है, उसके करियर को बर्बाद होने से बचाया जाए। इससे पहले की सुनवाई में श्रीसंत ने कहा था कि उन्होंने दिल्ली पुलिस के दबाव में जुर्म कबूला था। गौरतलब है कि केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 2017 में श्रीसंत पर लगा आजीवन प्रतिबंध हटा लिया था, लेकिन उच्च न्यायालय की डिवीजन पीठ ने बीसीसीआई की अपील पर श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध फिर से बहाल कर दिया था।
स्पॉट फिक्सिंग मामले में श्रीसंत, अंकित चव्हाण और चंदीला सहित सभी 36 आरोपियों को जुलाई 2015 को निचली अदालत ने बरीकर दिया था। हालांकि बोर्ड ने इस फैसले के बावजूद अपना अनुशासनात्मक निर्णय बदलने से इनकार कर दिया था।