मृत्यु के बाद जिन्हें परिवार ने भुलाया:उनके मोक्ष के लिए कथा-हवन कराती है मित्र मंडली

कोरोना से मृत लोगों के नाम पर भी यह कथा होगी कहते हैं कि श्वांस है तो शरीर का हक बनता है कि उसे भोजन, पानी, पहनने को कपड़ा और रहने को मकान मिले। लेकिन जैसे ही श्वांस की डोर टूटी तो इंसान लाश बन जाता है। कभी कभी कुछ अभागे होते हैं, जिनके शव को दो गज जमीन या कुछ सूखी लकड़ियों के साथ अंतिम संस्कार नसीब नहीं होता। कुछ इतने बदनसीब होते हैं कि उन्हें कफन और अपनों के कंधों तक का सहारा नहीं मिल पाता। ऐसे शवों…