देश की नब्ज को पहचानते हैं पीएम मोदी : सुषमा स्वराज

नई दिल्ली । भाजपा के घोषणापत्र को संकल्प पत्र बताते हुए पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने सोमवार को कहा कि हम कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की तरह चुनाव से पहले घोषणा करने नहीं बल्कि संकल्पों को पूरा करने का व्रत लेकर आए हैं। विदेश मंत्री मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि हमारे शीर्षक और दूसरों के शीर्षक का अंतर समझें। आज हम घोषणा करने नहीं आए हैं, बल्कि संकल्प का भरोसा देने आए हैं।

कांग्रेस के घोषणा पत्र पर निशाना साधते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि हम अपने संकल्प पत्र में राष्ट्र को मजबूत बनाने की बात करते हैं जबकि कांग्रेस राजद्रोह के कानून को खत्म करने की बात करती है। हम विकास की बात करते हैं जबकि वे (कांग्रेस) विकास की बात पर मौन हैं। हम लोक कल्याण की बात करते हैं, वो तुष्टीकरण की बात करते हैं।

उन्होंने कहा कि मैं आपसे कहना चाहती हूं कि हमारे संकल्प पत्र की तुलना बाकी पार्टियों के घोषणा पत्र से करें। हम मजबूत सरकार की वकालत कर रहे हैं, वे गठबंधन के नाम पर मजबूर सरकार की वकालत कर रहे हैं।

केन्द्रीय मंत्री ने जोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी देश की नब्ज पहचानते हैं जबकि राहुल गांधी एवं अन्य विपक्षी नेताओं को इसकी पहचान नहीं है। स्वराज ने कहा कि जब वह कहती हैं कि हमने 34 करोड़ बैंक खाते खोले हैं तो लोग चौंक जाते हैं। पुरानी सरकार में रोज 12 किलोमीटर हाइवे बनता था, जबकि मौजूदा सरकार में रोज 29 किलोमीटर लंबी सड़क बनती है।

स्वराज ने इस दौरान पांच देशों से प्रधानमंत्री को सम्मानित किये जाने और पाकिस्तान की आपत्ति के बावजूद ओआईसी देशों के सम्मेलन में आमंत्रित किये जाने का भी जिक्र किया । उन्होंने जोर दिया कि फिलिस्तीन, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, यूएई और संयुक्त राष्ट्र ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सबसे बड़े सम्मान से नवाजा है।

ओआईसी सम्मेलन में भारत को आमंत्रित किये जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा का क्या लाभ हुआ? उन्हें बता दूं कि पहली बार 57 इस्लामिक देशों के समूह में भारत को मुख्य अतिथि बनाया गया और वह भी पाकिस्तान की आपत्तियों के बावजूद हुआ। हमने पाकिस्तान को उसके करीबी देशों के बीच अलग-थलग किया है। स्वराज ने जोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा के कारण दुनिया के देशों से भारत के रिश्ते काफी अच्छे हुए हैं।

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